भारतीयम् नाट्य समारोह की प्रथम संध्या का हुआ मंचन
लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय नाट्य समारोह की पहली संध्याका मंचन किया गया , वरिष्ठ नाट्य निर्देशक पुनीत अस्थाना के निर्देशन में सबरंग संस्था द्वारा इश्क पर ज़ोर नहीं नाटक का मंचन किया गया। सुप्रसिद्ध फ्रासीसी नाटककार पियरे बोमार्शिए की कालजयी रचना द बारबर आफ सिविली का हिन्दुस्तानी जु़बान में अनुवाद जे0 एन0 कौशल ने गाज़ीपुर का हज्जाम नाम से किया है, जिसे नाटक की थीम के आधार पर इश्क पर ज़ोर नहीं के शीर्षक से पेश किया गया। नाटक में लखनऊ के एक ख़ानदानी रईस और ख़ुशमिज़ाज नौजवान नवाब अनवर को एक नवाबी ख़ानदान की नौजवान लड़की रौशनी से इश्क़ हो जाता है। पर यतीम हो जाने की वजह से गाज़ीपुर के हक़ीम बब्बन खाॅं उसे अपनी सरपरस्ती में गाज़ीपुर, अपने घर ले आतें हैं। पर रोशनी को गाज़ीपुर लाते ही, बेटी की उम्र की उस लड़की से उन्हे भी इश्क हो जाता है और जल्द से जल्द वो उससे शादी रचाने की फिराक़ में रहते हैं। तभी रौशनी को तलाशता नौजवान नवाब अनवर भी गाज़ीपुर आ पहुचता है। उसकी मुलाकात अपने पुराने नौकर फ़खरू हज्जाम से होती है, जो इस समय हकीम बब्बन खा के यहाॅं रहता है और उनके घर के छोटे मोटे काम कर दिया करता है। उसी की मदद से नवाब अनवर, रौशनी तक पहुंचतें हैं और जब हकीम साहब रौशनी से ब्याह की तैयारी में मशगूल होतें हैं, तो ऐन वक़्त पर वहॅ पहॅुच कर वो रौशनी से शादी कर लेता है और हकीम साहब हाथ मलते रह जातें हैं। नौकर फकरू की भूमिका में केशव पंडित ने अपनी शरारतों द्वारा सबका दिल जीत लिया। दिल फेक नवाब बब्बन खाॅ की भूमिका मे अशोक सिन्हा , नवाब अनवर की भूमिका में राजीव रंजन और संगीतकार सरगम अली की भूमिका में हरीश बडोला ने दर्शको ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। रौशनी की रोमान्टिक भूमिका ने सोनम वर्मा ने भी बखूबी प्रभावित किया। सफल नाट्य प्रस्तुति में आनन्द अस्थाना का सैट, मौ0 हफीज़ की लाइटिंग और राजीव रंजन के संगीत और गायिकी की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।