नेता जी सुभाष संस्था के पदाधिकारी तमाल सान्याल जो कि यहां के प्रशासन से बातचीत करने के लिए बनारस से कोहिमा आए हुए हैं; का कहना है कि इस तरह की कब्रगाह कई दूसरे देशों में भी हैं। जैसे, आस्ट्रेलिया में तीन, कनाडा में पांच, भारत 330 और ब्रिटेन में 1082 कब्रगाह हैं। इन सभी जगहों पर ब्रिटेन सरकार का ही नियंत्रण है।ब्रिटिश नेशनल म्यूजियम ने 2013 में बैटल ऑफ कोहिमा-इम्फाल को बड़ी लडाई की संज्ञा दी है। इन सभी कब्रगाहों की देखरेख ‘कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कमीशन’ करता है।सान्याल के मुताबिक, अगर यहां कोई व्यक्ति अपने मोबाइल से फोटो लेना चाहता है तो उसकी इजाजत ब्रिटेन सरकार से लेनी होगी।
पिछले साल कब्रगाह के साथ से गुजर रही सड़क को चौड़ी करने के लिए इंग्लैंड सरकार से परमिशन मांगी गई थी, जो नहीं मिली।इसी तरह अगर कोई भारतीय यहां आकर अपने किसी जानकार सैनिक की कब्रगाह की साफ-सफाई या उस पर पत्थर आदि लगवाना चाहता है तो उसे इंग्लैंड सरकार से मंजूरी लेनी होगी। सान्याल का कहना है कि भारत को ये सभी कब्रगाह अपने कब्जे में ले लेने चाहिए।इसके लिए वे केंद्र सरकार के साथ पत्राचार कर रहे हैं।
1944 का वह टैंक, जिसने छह सैनिकों को बचाया, आज भी उसी हालत में पड़ा है…
कोहिमा की लड़ाई के दौरान मेजर ऐजरा रोड सहित छह सैनिक एक टैंक में सवार थे।चारों तरफ से फायरिंग हो रही थी।टैंक पहाड़ी पर चढ़ गया।इससे पहले कि वे आगे बढ़ते, टैंक पीछे की ओर लुढ़क गया।यह घटना छह मई 1944 की है।जिस जगह पर वह टैंक गिरा, वहां किसी वस्तु के बोझ से मशीन गन का ट्रिगर दब गया।मशीन गन घूमते हुए फायरिंग करती रही।इसी कवर फायर की मदद से टैंक में मौजूद सभी सैनिक सुरक्षित बाहर निकल गए।