अद्धयात्म

भारत में यहां है ‘ईश्वर का देश’ जिसकी खूबियों पर आप करेंगे गर्व

A Nepalese Hindu woman lights incense sticks and offers prayers at the Pashupatinath temple during Teej festival celebrations in Katmandu, Nepal, Tuesday, Sept. 18, 2012. During the festival, Nepalese Hindu women observe a day-long fast and pray for their husbands and for a happy married life. Those unmarried pray for a good husband. (AP Photo/Niranjan Shrestha)

केरल की संस्कृति राज्य की सहिष्णु भावना का जीता-जागता उदाहरण है। यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत आर्य और द्रविड़ संस्कृतियों के मेल से बनी है जो भारत के अन्य हिस्सों और विदेशी प्रभावों के तहत सहस्राब्दियों में विकसित हुई है। केरल (केरलम) नाम केरा (नारियल का वृक्ष) और अलम (स्थान) से बना है।

यहां सदियों से विभिन्न समुदायों और धार्मिक समूहों के लोग पूरी समरसता से रहते हैं। यहां पारंपरिक और आधुनिकता के बीच ताल-मेल के जरिए लोग एक-दूसरे के साथ सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं, जो अनेकता में एकता का जीवंत उदाहरण है।

केरल में आधी से अधिक आबादी हिंदू धर्मावलंबी है। इसके बाद इस्लाम और ईसाई धर्म को मानने वाले लोग हैं। भारत के अन्य राज्यों की तुलना में केरल में सांप्रदायिकता और वर्गवाद कम है। यहां खान-पान की आदतों को लेकर कोई सांप्रदायिक दुराव नहीं है। सभी धर्मों के लोग समान आहार वाले हैं। राज्य में मुख्य भोजन चावल है, जिसके साथ शाकाहार और मांसाहार व्यंजन शामिल हैं।

अन्य राज्यों की तरह केरल में शहरी और ग्रामीण विभाजन नजर नहीं आता। केरल के लोग न सिर्फ एक दूसरे से एकरस हैं, बल्कि प्रकृति के प्रति जागरूक भी हैं। वे ‘प्रदूषण से नुकसान, प्रकृति का संरक्षण’ सिद्धांत का पालन करते हुए पर्यावरण को सुरक्षित बनाने और उसके रखरखाव का प्रयास करते हैं। यहां के लोग शिक्षित और सभ्य हैं तथा राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से सावधान एवं जागरूक हैं।

आमतौर पर यहां के लोगों को पढ़ने का बहुत शौक होता है और वे मीडिया, खासतौर से अखबारों को पढ़ने में बहुत रुचि रखते हैं।

केरल में सत्ता विकेंद्रीकृत है। यहां का बुनियादी ढांचा मजबूत है और जमीनी स्तर पर काम होता है। बजट का 40 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों को दिया जाता है, ताकि वे विकास कार्य के लिए स्वयं निर्णय कर सकें।

विकास गतिविधियों के सीधे वित्तपोषण में सांसदों और विधायकों की कोई भूमिका नहीं होती तथा सारे निर्णय स्थानीय स्तर पर ग्राम पंचायतों द्वारा किए जाते हैं। भारत के अन्य राज्यों में केरल के विकेन्द्रीकरण का बहुत सम्मान किया जाता है। स्थानीय निकाय क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभाते है और पारदर्शी तरीके से जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है। इससे न केवल जनप्रतिनिधि जिम्मेदार और उत्तरदायी होते हैं, बल्कि वे जनता के कार्यो के प्रति सावधानी से कार्यवाही करते हैं।

केरल स्थानीय प्रशासन संस्थान (केआईएलए), त्रिशूर के नेतृत्व में क्षमता निर्माण गतिविधियां शुरू की गई हैं। यह इस संबंध में नोडल संस्थान है। केरल में त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था काम करती है। जहां 14 जिलों में 1209 स्थानीय निकाय संस्थान मौजूद हैं, जिनके तहत ग्रामीण इलाकों के लिए 14 जिला पंचायतें, 152 ब्लॉक पंचायतें और 978 ग्राम पंचायतें तथा शहरी इलाकों के लिए 60 नगर परिषदें और 5 नगर-निगम चल रहे हैं।

केरल में काली मिर्च और प्राकृतिक रबड़ का उत्पादन होता है, जो राष्ट्रीय आय में अहम योगदान करते हैं। कृषि उत्पादों में नारियल, चाय, कॉफी, काजू और मसाले महत्वूपर्ण हैं। केरल में उत्पादित होने वाले मसालों में काली मिर्च, लौंग, छोटी इलायची, जायफल, जावित्री, दालचीनी, वनीला शामिल हैं।

केरल का समुद्री किनारा 595 किलोमीटर लंबा है। यहां उष्णकटिबंधीय जलवायु है और इसे ‘भारत का मसालों का बाग’ कहा जाता है। कोच्चि स्थित नारियल विकास बोर्ड भारत को विश्व में अग्रणी नारियल उत्पादक देश और स्पाइसेज बोर्ड इंडिया भारत को मसालों के व्यापार में अग्रणी बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

1986 में केरल सरकार ने पर्यटन को महत्वपूर्ण उद्योग घोषित किया और ऐसा करने वाला यह देश का पहला राज्य था। केरल विभिन्न ई-गवर्नेस पहलों को लागू करने वाला भी पहला राज्य है। 1991 में केरल को देश में पहले पूर्ण साक्षर राज्य की मान्यता प्राप्त हुई है, हालांकि उस समय प्रभावी साक्षरता दर केवल 90 प्रतिशत थी। 2011 की जनगणना के अनुसार 74.04 प्रतिशत की राष्ट्रीय साक्षरता दर की तुलना में केरल में 93.91 प्रतिशत साक्षरता दर है।

केरल ने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। यहां सभी 14 जिलों में 100 प्रतिशत मोबाइल सघनता, 75 प्रतिशत ई-साक्षरता, अधिकतम डिजिटल बैंकिंग, ब्रॉडबैंड कनेक्शन और ई-जिला परियोजना हैं तथा बैंक खाते आधार कार्ड से जुड़े हुए हैं, जिस वजह से डिजिटल केरल के लिए मजबूत बुनियाद पड़ी है। इन संकेतों के आधार पर केरल को पूर्ण डिजिटल राज्य घोषित करने की घोषणा की गई है।

सभी पंचायतों में आयुर्वेदिक उपचार केंद्रों की शुरुआत के साथ ही केरल आयुर्वेद राज्य बनने के लिए भी तैयार है। इसके तहत 77 नए स्थायी केंद्र शुरू किए गए और 68 आयुर्वेद अस्पतालों का जीर्णोद्धार किया गया। 110 होम्योपैथिक डिस्पेंसरी शुरू की गई है।

‘ईश्वर का अपना देश’ के नाम से प्रसिद्ध केरल को बेटियों से प्रेम करने की भूमि के रूप में भी जाना जा सकता है। यहां बेटों के मुकाबले बेटियों की संख्या अधिक है और 2011 की जनगणना के अनुसार 1000 पुरुषों के मुकाबले 1084 महिलाओं के साथ ही यह देश का सबसे उच्च लिंग अनुपात है।

केरल में बालिका का जन्म पवित्र और ईश्वर का उपहार माना जाता है। राज्य में सबसे उच्च 93.91 प्रतिशत साक्षरता दर और 74 वर्ष की औसत प्रत्याशा है। यहां से नौ विभिन्न भाषाओं में समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं, जिनमें से अधिकतर अंग्रेजी और मलयालम भाषा के हैं।

पूर्ववर्ती मातृ प्रभुत्व प्रणाली के चलते केरल में महिलाओं की उच्च सामाजिक स्थिति है। देश के अन्य हिस्सों में जहां बालक को प्राथमिकता दी जाती है, वहीं केरल में बालिका के जन्म को बोझ नहीं समझा जाता। केरल में लगभग सभी जाति, धर्म, संप्रदाय या क्षेत्र में लड़कियों की जन्म और जीवित रहने की दर अधिक है और बालिका शिक्षा को अधिक महत्व दिया जाता है।

केरल में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान सबसे आगे चल रहा है। केरल में तरक्की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सभी क्षेत्रों में नजर आता है।

संयुक्त राष्ट्र के बच्चों के लिए कोष (यूनिसेफ) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने फामूर्ला दूध की तुलना में माताओं द्वारा दूध पिलाने को बढ़ावा देने के लिए केरल को दुनिया का पहला ‘शिशु अनुकूल राज्य’ का दर्जा दिया है।

यहां 95 प्रतिशत से अधिक बच्चों का जन्म अस्पताल में होता है और इस राज्य में सबसे कम नवजात शिशु मृत्युदर है। केरल को ‘संस्थागत प्रसव कराने’ के लिए पहला स्थान दिया गया है। यहां पर 100 प्रतिशत जन्म चिकित्सा सुविधाओं में होता है।

विकास के केरल मॉडल को देश के अन्य राज्यों द्वारा अपनाए जाने की आवश्यकता है। महिला सशक्तीकरण, उच्च साक्षरता दर और पंचायती राज संस्थानों की मजबूती के लिए देश का मॉडल राज्य है, जिससे दूसरे राज्यों को प्रेरणा लेनी चाहिए।

 

Related Articles

Back to top button