भारत के साथ हथियारों की होड़ करते हुए पाकिस्तान ने भी चीन से 48 उच्च गुणवत्ता वाले सैन्य ड्रोन खरीदने का फैसला किया है। हालांकि दोनों देशों के बीच इस तरह का यह पहला सबसे बड़ा सौदा बताया जा रहा है लेकिन मंगलवार को चीनी अधिकारियों ने इस सौदे की जानकारी देते वक्त इसका मूल्य नहीं बताया है।
बता दें कि हाल ही में भारत का रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली और फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान का सौदा हुआ है। इसे लेकर पाक रक्षा मंत्रालय में पहले ही चिंता है। इसी कारण उसने चीन के अत्याधुनिक ड्रोन विंग लुंग-2 का सौदा किया है जो जासूसी के साथ हमला भी करने में सक्षम है। इसका निर्माण चेंगदू एयरक्राफ्ट उद्योग कंपनी ने किया है।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक इस यूएवी को चीन और पाक संयुक्त रूप से बनाएंगे। चीन को पाक सेना के सबसे बड़े हथियार आपूर्तिकर्ता देश के रूप में जाना जाता है। चीन और पाक मिलकर सिंगल इंजन मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट जेएफ थंडर मैन्युफैक्चर कर रहे हैं। पाक सेना लंबे समय से चीन से सैन्य ड्रोन खरीदना चाह रही थी लेकिन भारत-रूस के बीच एस-400 डील होने के तुरंत बाद चीन ने भी पाक को ड्रोन बेचने पर सहमति दे दी है। अभी इस सौदे की न तो कीमत उजागर की गई है और न ही इनकी आपूर्ति के बारे में कोई जानकारी दी गई है।
आर्थिक संकट से जूझ रहा पाक मांगेगा आईएमएफ से मदद
बढ़ते भुगतान संतुलन के संकट से निपटने के लिए पाकिस्तान ने अंतत: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की शरण में जाने का फैसला किया है। पाक सरकार ने शुरूआती हिचकिचाहट के बाद बेलआउट पैकेज के लिए आईएमएफ से मदद मांगने का औपचारिक एलान किया, जबकि अमेरिका ने इस बेलआउट पैकेज को लेकर आईएमएफ को पहले से ही चेतावनी दी हुई है।
इससे पहले पाक पीएम इमरान खान ने देश की अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिए इस तरह के कदमों का विरोध किया था। लेकिन वित्त मंत्री असद उमर के मुताबिक पीएम ने इस फैसले को मंजूरी दे दी है। इसके बाद आईएमएफ से बातचीत शुरू कर दी जाएगी। बता दें कि यदि पाक सरकार आईएमएफ के पास जाती है तो यह उसका अब तक का 13वां बेलआउट पैकेज होगा। हालांकि पाकिस्तान के पास चीन से कर्ज लेने का भी एक विकल्प मौजूद है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने आईएमएफ को चेताया था कि पाक अपनी बेलआउट मदद राशि का प्रयोग चीन से लिया कर्ज चुकाने में कर सकता है।