राष्ट्रीय

भारत हैवीवेट राॅकेट क्षमता युक्त समूह में शामिल, मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को मिला बल

श्रीहरिकोटा: आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में हलचल मची रही। दरअसल भारत ने लगभग 15 वर्ष की मेहनत के बाद हैवीवेट राॅकेट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। इस प्रक्षेपण के बाद भारत उन देशों में शामिल हो गया है जो कि हैवीवेट राॅकेट क्षमता रखने वाले देशों में शामिल हैं। इस सफलता को इसरो अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने ऐतिहासिक कहा है। इस राॅकेट एमके 3 डी 1 को वैज्ञानिकों ने आम भाषा में फैट बाॅय अर्थात् मोटा लड़का का नाम दिया है।

ये भी पढ़ें: अभी-अभी : सोनिया गांधी ने खाया जहर, हॉस्पिटल में हुई मौत… मचा हडकंप

भारत हैवीवेट राॅकेट क्षमता युक्त समूह में शामिल, मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को मिला बल

तेलुगु मीडिया ने इसे बाहुबली का नाम दे दिया। भारत ने सोमवार की शाम करीब 5.28 मिनट पर इसरो के लाॅन्च पैड से उड़ानभरी तो करीब 16 मिनट बाद भारत को बड़ी सफलता मिलने की सूचना मिली। जी हां, इस राॅकेट द्वारा 3136 किलोग्राम वजनी संचार उपग्रह जीसेट 19 को अंतरिक्ष की मनमाफिक कक्षा मेें स्थापित किया गया। गौरतलब है कि जो राॅकेट भारत ने प्रक्षेपित किया। वह क्रायोजेनिक इंजन युक्त है।

यह इंजन तीन चरणों वाले 43.43 मीटर ऊॅंचे जीएसएलवी भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान एमके 3 डी 1 राॅकेट ने उड़ान भरी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सफलता हेतु इसरो के वैज्ञानिकों को शुभकामना दी। इस राॅकेट की लाॅन्चिंग के बाद भारत 4 हजार किलो तक के उपग्रह को भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित करने में सक्षम हो गया है।

इसरो के पूर्व प्रमुख व सलाहकार डॉ राधाकृष्णन ने इस सफलता को मील का पत्थर करार दिया है। उन्होंने कहा अब हम हर तरह के संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण में आत्मनिर्भर हो जाएंगे। जीएसएलवी अभियान के निदेशक जी अय्यप्पन ने इसे मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट की सफलता और सामग्री डिजाईन विभाग की विशेषज्ञता बताया है। 

ये भी पढ़ें: 500 और 2000 रुपए के नोटों के बाद अब आएगा एक और नया नोट

यह है खास 

इसका वजन बहुत अधिक है लेकिन इसके बाद भी इसे सफलता के साथ प्रक्षेपित किया गया। जीएसएलवी एमके3.डी1 का वजन  640 टन यानी 6 लाख 40 हजार किलो है । यह 200 एशियाई हाथियों के वजन के बराबर है। दूसरी ओर जीसेट 19 का वजन 3136 किलो यानी 3.1 टन वजनी है। संचार उपग्रह की आयु 10 वर्ष है। इसे जीसेट 18 फ्रेंच गुयाना स्थित एरियाने से प्रक्षेपित किया था। संचार उपग्रह करीब 10 वर्ष तक कार्य करेगा। इतना ही नहीं इसरो को इस पर कार्य करने में 15 वर्ष का समय लग गया। जी सेट 19 में देश के संचार साधनों में परिवर्तन होगा। इतना ही नहीं इसमें पुराने लगभग 6 से 7 संचार उपग्रहों की क्षमता है। 

Related Articles

Back to top button