एजेंसी/ देहरादून: उत्तराखंड की जगलों में लगी हुई भीषण आग पर क़ाबू पाने के लिए NDRF की टीम ऑपरेशन में जुटी हुई है। एनडीआरएफ के अलावा एसडीआरएफ और थलसेना के जवान आग बुझाने की लगातार कोशिशें कर रहे हैं। एमआई-17 हेलीकॉप्टर तैनात कर दिए गए हैं जिनके जरिए पानी का छिड़काव किया जाएगा। यहां बता दें कि आग गरमी के चलते लगी है। इस आग में अब तक सात लोग मारे जा चुके हैं जबकि 15 लोग घायल बताए जा रहे हैं।
इस मौसम में आग से कुल 1890.79 हेक्टेयर वन क्षेत्र बर्बाद हो चुका है। आग का यह सिलसिला शुष्क जाड़े के कारण दो फरवरी को शुरू हुआ था।
800 गांवों के आसपास के जंगल हैं चपेट में…
उत्तराखंड में 800 गांवों के आसपास के जंगल बीते एक हफ़्ते से आग से धधक रहे हैं। क़रीब 205 हेक्टेयर जंगल ख़ाक हो गया है। सबसे ज़्यादा वेतालघाट, रामगढ़ टाइगर रिज़र्व और राजाजी नेशनल पार्क के जंगलों में नुक़सान की खबर है। तेज़ हवा की वजह से फैलती आग को क़ाबू करने के लिए अब एनडीआरएफ़ की टीमों को लगाया गया है।
पौड़ी, चमोली और अल्मोड़ा ज़िले में ऑपरेशन जारी…
पौड़ी, चमोली और अल्मोड़ा ज़िले के अलग-अलग जगहों पर एनडीआरएफ़ का ऑपरेशन जारी है। कई इलाकों में आग पर काबू पाया भी गया है .लेकिन कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जहां अभी भी आग पर क़ाबू पाना काफ़ी मुश्किल हो रहा है। उत्तराखंड सरकार के आग्रह पर दिल्ली फ़ायर सर्विसेज़ के डायरेक्टर भी वहां जा रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी आग के बारे में राज्यपाल से जानकारी मांगी है।
फरवरी से जंगलों में आग लगने का सिलसिला जारी
प्रधान वन संरक्षक बीपी गुप्ता ने बताया कि उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग के फैलने से एनडीआरएफ की तीन टीमें अल्मोड़ा, गौचर और पौड़ी में आग बुझाने के लिए लगाई गई हैं जबकि एसडीआरएफ की एक टीम नैनीताल में लगाई गई है। इस साल फरवरी की शुरुआत से राज्य के वनों में आग लगने की घटनाएं शुरू हुईं और अभी तक इस तरह की 922 घटनाएं हो चुकी हैं। अलग-अलग घटनाओं में तीन महिलाओं और एक बच्चे सहित छह लोग मारे गए हैं और सात लोग घायल हुए हैं।
सभी जरूरी सूचनाएं वेबसाइट पर अपलोड…
मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि आगामी सात दिनों के लिए संभावित फायर पॉइंटस एवं वन क्षेत्र की स्थिति व नाम वन विभाग की वेबसाइट पर वन मुख्यालय में स्थापित सूचना प्रौद्योगिकी एवं जियोइन्फोर्मेटिक्स केन्द्र द्वारा प्रतिदिन अपलोड की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में जिलेवार वनाग्नि की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों की सूची तथा आगामी 15 दिनों के लिए मौसम के पूर्वानुमान की सभी सूचनायें वन विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है।