भूखी माता मंदिर: यहां हर दिन दी जाती थी इन्सान की बलि
एजेन्सी/उज्जैन। शहर में यूं तो कई मंदिर हैं, लेकिन यहां एक मंदिर ऐसा भी है, जहां प्राचीन समय में हर दिन मानव बलि दी जाती थी। उज्जैन में भूखी माता नाम से प्रसिद्ध इस देवी की कहानी सम्राट विक्रमादित्य के राजा बनने से जुड़ी है।
मान्यता है कि भूखी माता को प्रतिदिन एक युवक की बलि दी जाती थी। राजवंश में जिस जवान लड़के को अवंतिका नगरी का राजा घोषित किया जाता था, भूखी माता उसे खा जाती थी।
एक बार किसी दुखी मां का विलाप देख विक्रमादित्य ने उसके पुत्र की रक्षा का वचन दिया। विक्रमादित्य ने कहा कि उसके बेटे की जगह वे स्वयं भूखी माता का भोग बन जाएंगे। राजा बनते ही विक्रमादित्य ने पूरे शहर को स्वादिष्ट व खुशबू वाले व्यंजनों से सजाने का आदेश दिया।
जगह-जगह छप्पन भोग सजाए गए। भूखी माता की भूख विक्रमादित्य को अपना आहार बनाने से पहले ही खत्म हो गई। साथ ही उन्होंने विक्रमादित्य को प्रजा पालक चक्रवर्ती सम्राट होने का आशीर्वाद दिया। इस प्रकार मानव बलि की यह प्रथा समाप्त हुई।