मंत्र सिद्धि से मिलती है अलौकिक शक्ति
हिंंदू शास्त्रों में मंत्र जपने का विशेष महत्व है। मन को एक तंत्र में लाना ही मंत्र होता है। यदि आपके मन में एक साथ कई विचार चल रहे हैं तो उन सभी को समाप्त करके मात्र एक विचार को स्थापित करना ही मंत्र का लक्ष्य होता है। यह लक्ष्य पाने के बाद आपका दिमाग एक ही दिशा में गति करने वाला होगा। जब ऐसा हो जाता है तो कहते हैं कि मंत्र सिद्ध हो गया। ऐसा मंत्र को लगातार जपते रहने से होता है। दरअसल, मन जब मंत्र के अधीन हो जाता है तब वह सिद्ध होने लगता है।
मंत्र शब्दों का संचय होता है, जिससे इष्ट को प्राप्त कर सकते हैं और अनिष्ट बाधाओं को नष्ट कर सकते हैं। मंत्र शब्द में ‘मन’ का तात्पर्य मन और मनन से है और ‘त्र’ का तात्पर्य शक्ति और रक्षा से है। मंत्रजप से जो आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न होती है उसका विनियोग अच्छे अथवा बुरे कार्य के लिए किया जा सकता है। इन मन्त्रों का उचारण किया जाता है तो जाप करने वाले के मुख से ऐसी ध्वनियां निकलती है जो लौकिक और अलौकिक शक्तियों को खींचती हैं और उन शक्तियों की मदद से कोई भी कार्य करवाया जा सकता है।