मकर संक्रांति पर छाई खिचड़ी, भगवान शिव ने की थी इस परंपरा की शुरुआत
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को स्नान, दान और ध्यान के त्योहार के रूप में देखा जाता है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन भगवान सूर्य को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और गुड़ तिल से बनी चीजें गजक, रेवड़ी को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
खिचड़ी जैसा पौष्टिक आहार शायद ही कोई दूसरा हो, वहीँ संक्रांति (Makar Sankranti) के आते ही सोशल मीडिया पर ये सुर्खियों में आने वाला पहला व्यंजन बना हुआ है। लोक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा का आरंभ भगवान शिव ने किया था और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी बनाने की परंपरा का आरंभ हुआ था। उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। मान्यता है की बाबा गोरखनाथ जी भगवान शिव का ही रूप थे। उन्होंने ही खिचड़ी को भोजन के रूप में बनाना आरंभ किया।
पौराणिक कहानी के अनुसार खिलजी ने जब आक्रमण किया तो उस समय नाथ योगी उन का डट कर मुकाबला कर रहे थे। उनसे जुझते-जुझते वह इतना थक जाते की उन्हें भोजन पकाने का समय ही नहीं मिल पाता था। जिससे उन्हें भूखे रहना पड़ता और वह दिन ब दिन कमजोर होते जा रहे थे।
इस समस्या का हल निकालने के लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाने की सलाह दी। यह व्यंजन काफी पौष्टिक और स्वादिष्ट था और तुरंत तैयार हो जाता था। इससे शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती थी। नाथ योगियों को यह व्यंजन काफी पसंद आया। बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा।
गोरखपुर स्थिति बाबा गोरखनाथ के मंदिर के पास मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी मेला आरंभ होता है। कई दिनों तक चलने वाले इस मेले में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और इसे भी प्रसाद रूप में वितरित किया जाता है।
राजनीति का हथियार बनी खिचड़ी
बता दें कि साल 2017 में 3-5 नवंबर तक चले वर्ल्ड फ़ूड फेस्टिवल इंडिया का उद्घाटन PM मोदी ने किया था। अपने भाषण में उन्होंने खिचड़ी के गुणों का वर्णन किया। वहीं बीते दिनों पहले बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी पिछड़ों को लुभाने के लिए समरसता खिचड़ी भोज का आयोजन भी किया गगया था।