मत करना ये 6 काम वर्ना वक्त से पहले आ जाएगी मौत
दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ विदुर उच्च कोटि के विचारक थे। उनके अनुभव धर्म, नीति और सदाचार पर आधारित हैं। उन्होंने राजपरिवारों का उत्थान देखा था, वैभव की पराकाष्ठा देखी थी तो युद्धभूमि में बहता रक्त और राजपरिवारों का पतन भी देखा था।
अपने रूप, पद, सत्ता, गुण और सुंदरता को स्वीकार करना और विनम्र रहना सद्गुण की श्रेणी में आता है परंतु इन पर अहंकार करना अवगुण होता है। यहीं से मनुष्य का पतन प्रारंभ होता है। महाभारत भी इन्हीं खूबियों के दुरुपयोग से सावधान रहने की बात कहता है। यही महात्मा विदुर ने कहा है।
संसार में कार्य-व्यवहार के लिए वाणी का कुशल उपयोग जरूरी है। बिना वाणी के जीवन अत्यंत कष्टदायक होता है। ईश्वर ने मनुष्य को वाणी का वरदान दिया है ताकि उसका जीवन सहज और सुखद हो लेकिन वाणी का दुरुपयोग बड़े-बड़े अनर्थ करवा सकता है।
जो मानव अत्यंत स्वार्थी हो, जिसे सदैव अपनी ही चिंता हो, जो कभी लोककल्याण के काम नहीं करता, जो अपने हितों की पूर्ति में ही लगा रहे, जो कभी दान-परोपकार नहीं करता, ऐसे व्यक्ति का जीवन पृथ्वी पर बोझ के समान है।
कहा जाता है कि क्रोध मनुष्य का शत्रु है। जिसके पास क्रोध है, उसे शत्रु की आवश्यकता नहीं है। क्रोध के वशीभूत होकर लिए गए निर्णय दुखदायी होते हैं। कई बार ऐसे निर्णय अत्यंत विनाशकारी सिद्ध होते हैं। इसलिए मनुष्य को संयम और विवेक के आधार पर ही निर्णय लेने चाहिए।
उक्त विशेषताओं की तरह ही जो मनुष्य कभी संतुष्ट न हो, उसे भी विदुर ने उत्तम नहीं माना है। संतुष्टि न होने से तात्पर्य है- जो दूसरों की बिल्कुल भी परवाह न करे, जिसे खुद से छोटे जीवों, मनुष्यों की कोई परवाह न हो। ऐसे व्यक्ति का जीवन व्यर्थ है।