मथुरा हिंसा: दोस्त ने बताई मास्टरमाइंड की कहानी
गांव में रामवृक्ष का घर
बाबा जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका रामवृक्ष बहुत ही शातिर दिमाग का था। जनपद को छोड़कर बाहर जाने के बाद अपने शातिर दिमाग से धर्म का चादर ओढ़कर वह सफेदपोश अपराधजगत की एक हस्ती बन गया था, जिसकी झलक गुरुवार को मथुरा में देखने को मिली।
अनशन की आड़ में उसने अपराधियों का एक गैंग बना लिया था और भारी मात्रा में राइफलें, बंदूक व गोलियां का जखिरा इकट्ठा कर लिया था। गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक राम किशोर वर्मा ने बताया किमथुरा कांड का मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव मरदह थाना क्षेत्र का रहने वाला है। विगत कई सालों से जनपद से गायब था। सन 2013 में बरेली जनपद में भी उस पर कई आपराधिक मुकदमें दर्ज हुए हैं।
रामवृक्ष के दो पुत्र व दो पुत्रियां हैं। पुत्रियों की शादी हो चुकी है, वह अपने दोनों पुत्रों व पत्नी के साथ मथुरा में ही रहते हैं। आपातकाल के दिनों में इनके सहयोगी रहे गांव के ही लोकतांत्रिक सेनानी सुदामा यादव रामवृक्ष के बारे में मिल रही खबरों को सुनकर हतप्रभ हैम। उन्होंने आपातकाल के दौरान रामवृक्ष के साथ गुजारे दिनों को याद करते हुए उनके स्वभाव की तारीफ करते हुए कहा हम लोग विरोध किए थे और जेल में साथ बन्द हुए थे।
मथुरा में सत्याग्रह करने वाले रामवृक्ष से दो साल से संपर्क न होने की बात वह कह रहे हैं। उनके गांव के ही गुरु भाई रामाकान्त यादव बताते हैं कि 1972-73 में बाबा जयगुरुदेव से जुड़े थे।
1975 में रामवृक्ष के साथ इमर्जेंसी में बंद हुए थे, वही लोकतंत्र सेनानी की पेन्शन भी पाते हैं। यहां वह बहुत कम आते हैं। पिछली बार जब आए थे तो अपनी जमीन वगैरह पटीदारों को सौंपकर परिवार के साथ मथुरा चले गए थे। गांव की राजनीति में कभी नहीं पड़े, खरा बोलते थे।