उत्तराखंड

महिला पत्रकार की मौत का सच सामने लाने के लिए छिड़ी मुहिम

kiran-joshi-560ee815b355f_mमहिला पत्रकार की मौत का सच सामने लाने के लिए सोशल मीडिया पर शुरू हुई ‘जस्टिस फॉर किरण’ की मुहिम ने पुलिस को हरकत में ला दिया। एक जिले के अधिकारी के दखल के कारण अब तक पुलिस कार्रवाई के बजाए मामले को खींच रही थी।

इसी हीलाहवाली की वजह से आरोपी पति और उसके परिजनों को यहां से निकलने का मौका मिल गया। शुक्रवार को पहली बार पुलिस आरोपियों की तलाश में उनके संभावित ठिकानों की टोह लेती रही।

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर की पत्रकार किरण जोशी की दहेज हत्या ने हर किसी को झकझोर दिया था। इसी साल 8 मई को किरण ने नई जिंदगी के सपने संजोकर देहरादून में नेहरू कालोनी के सरस्वती विहार निवासी बैंक कैशियर रोबिन जोशी के साथ सात फेरे लिए थे। 137 दिन का वैवाहिक जीवन उसकी जिंदगी पर भारी पड़ गया।

25 सितंबर को किरण जोशी की लाश ससुराल में पंखे से लटकी पाई गई थी। किरण के भाई राम स्वरूप की मानें तो 25 सितंबर की सुबह को किरण की सास ने फोन पर बताया था कि रोबिन और किरण की लड़ाई हो रही है।

इसलिए वह किरण को ले जाएं। दोपहर बाद किरण ने फोन कर आशंका जताई थी कि ये लोग उसकी हत्या कर सकते हैं। रात को यहां पहुंचे तो उन्हें किरण मृत मिली। हत्या से पहले उसे यातनाएं भी दी गई थी। शरीर पर पड़े नीले निशान इस बात की गवाही देने के लिए काफी हैं।

परिजनों के हंगामे के बाद पुलिस ने दहेज हत्या का मुकदमा तो दर्ज कर लिया लेकिन रोबिन के एक रिश्तेदार के अधिकारी होने की वजह से पुलिस जल्दबाजी में कार्रवाई करने के मूड में नहीं थी। यही वजह थी कि आरोपी पति बैंक कैशियर रोबिन जोशी वहां से निकल गया।

इसी बीच सोशल साइट पर पत्रकार किरण जोशी को इंसाफ दिलाने की मुहिम शुरू हुई। फेसबुक पर जस्टिस फॉर किरण का पेज बनाया गया है, जिससे लगातार लोग जुड़ रहे हैं।

इस मुहिम के बाद शुक्रवार को पुलिस की नींद टूटी। जाल से निकल गए पति रोबिन जोशी की धरपकड़ के लिए उसके संभावित ठिकानों पर पुलिस भेजी गई है।

किरण जोशी दहेज हत्याकांड की जांच कर रहे सीओ डालनवाला अरुण पांडेय ने बताया कि साक्ष्य संकलन करने के बाद अब आरोपियों की तलाश में दबिश चल रही है। जल्द ही उन्हें पकड़ लिया जाएगा।

 

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