उत्तराखंडराज्य

मां बनकर गरीब बेटियों का भविष्य संवार रही तारा

श्रीतारा मां ने 2012 में रायवाला के हरिपुरकलां गांव में ऐसे संस्थान की नींव रखी, जिसके जरिये उन सैकड़ों बेटियों को निश्शुल्क शिक्षा दी जा रही है, जो बेहद गरीब परिवारों से हैं।

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रायवाला, देहरादून [दीपक जोशी]: नारी को सशक्त बनाए बिना समाज एवं राष्ट्र की मजबूती संभव नहीं है। इसी भावना के साथ श्रीतारा मां ने 2012 में रायवाला के हरिपुरकलां गांव में ऐसे संस्थान की नींव रखी, जिसके जरिये उन सैकड़ों बेटियों को निश्शुल्क शिक्षा दी जा रही है, जो बेहद गरीब परिवारों से हैं।

पहली से आठवीं कक्षा तक संचालित श्री मां कन्या विद्यालय में हर वह लड़की प्रवेश पा सकती है, जिसके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। वर्तमान में यहां 110 बेटियां मुफ्त शिक्षा पा रही हैं।

वर्ष 2013 में केदारघाटी में आई आपदा से प्रभावित वह 10 बेटियां भी इनमें शामिल हैं, जिनका पालन-पोषण तारा मां की ओर से किया जा रहा है। इन बच्चों को ड्रेस, कापी-किताब आदि विद्यालय की ओर से ही मुहैया कराए जाते हैं। विद्यालय में बच्चों के लिए खेलकूद व मनोरंजन के भी भरपूर इंतजाम हैं।

 

सुबह ध्यान, साधना, योग व प्रार्थना और इसके बाद पूरे दिन पढ़ाई। इंडोर गेम के साथ, कंप्यूटर लैब, टीवी, समाचार पत्र की सुविधा भी विद्यालय में है। प्रशिक्षक विनोद कौशिक के निर्देशन में यह बच्चे गीत-संगीत में भी पारंगत हो रहे हैं। श्रीतारा की सेवा भावना को देखते हुए सभी लोग उन्हें श्रीतारा मां के नाम से पुकारते हैं।

आपदा प्रभावित 10 बेटियों का सहारा

केदारघाटी की आपदा से प्रभावित 10 बेटियां वर्तमान में श्रीतारा मां के सानिध्य में जीवन यापन कर रही हैं। विद्यालय से जुड़ी मंजू तेजवानी ने बताया कि श्रीतारा मां की प्रेरणा से थाणे (महाराष्ट्र) में भी तारा मां निशक्त बच्चों के लिए पहली से दसवीं कक्षा तक स्नेहदीप नाम से विद्यालय चला रही हैं। यहां वर्तमान में 340 बच्चे अध्ययनरत हैं।

बच्चों को मिलता है आध्यात्मिक वातावरण

श्री मां कन्या विद्यालय, हरिपुरकलां की प्रधानाचार्या पुष्पा कोटवानी के मुताबिक बच्चे संस्कारित बनें, इसके लिए उन्हें आध्यात्मिक वातावरण प्रदान किया जाता है। तारा मां की प्रेरणा से कन्या संरक्षण और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की दिशा में भी कार्य हो रहा है।

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