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मारुति सुजुकी को तब बड़ा झटका लग सकता है। हालांकि, मारुति सुजुकी के एग्जिक्युटिव्स आश्वस्त हैं कि डीजल इंजन की कारें हटा लेने के बाद भी कंपनी का कार बाजार में दमदार मौजूदगी दर्ज कराती रहेगी।
मुम्बई : अगले साल अप्रैल से डीजल कारें नहीं बनाने का फैसला मारुति के लिए महंगा पड़ सकता है। ऑटो इंडस्ट्री के अंदरूनी लोगों का कहना है कि कंपनी सब-कॉम्पैक्ट एसयूवीज में लीडरशिप पोजिशन गंवा सकती है। साथ ही, कॉम्पैक्ट सेडान सेगमेंट में उसका मार्केट शेयर घट सकता है। इस सेगमेंट में वितारा ब्रेजा और डिजायर मार्केट लीडर हैं। सब-कॉम्पैक्ट एसयूवीज में चार मीटर तक की लंबी कारें आती हैं। भारत में बिकने वाली ऐसी 70 प्रतिशत कारों में डीजल इंजन होते हैं। अभी वितारा ब्रेजा सिर्फ डीजल इंजन के साथ उपलब्ध हैं। कंपनी अब पेट्रोल इंजन के साथ ब्रेजा लाने की सोच रही है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि डीजल इंजन का विकल्प उपलब्ध नहीं होने पर सबसे ज्यादा बिकने वाले इस मॉडल को झटका लगेगा और इस कठिन प्रतिस्पर्धा वाले सेगमेंट में इसकी बिक्री घट सकती है। उधर, डिजायर टैक्सी संचालकों की पसंदीदा है क्योंकि वे अमूमन डीजल कारों को प्राथमिकता देते हैं। दरअसल, डीजल वाहनों का माइलेज ज्यादा होता है। देश में वित्त वर्ष 2019 में करीब 4.6 लाख यूनिट्स एंट्री लेवल की सेडान कारों और करीब 3.5 लाख यूनिट्स सब-कॉम्पैक्ट एसयूवीज की बिक्री हुई। इनमें करीब आधी डीजल इंजन वाली कारें थीं। यानी, पिछले वित्त वर्ष में बिकीं करीब 4 लाख सब-कॉम्पैक्ट एसयूवीज डीजल इंजन युक्त थीं। कंपनी ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह अप्रैल 2020 से डीजल वाहन बेचना बंद कर देगी जब बीएस- VI नियम लागू हो जाएगा। कंपनी ने कहा कि बीएस- VI नियम के मुताबिक छोटे डीजल इंजन बनाने की लागत ज्यादा आएगी। डीजल कारों और एसयूवीज का प्राइस प्रीमियम 1 से 1.5 लाख रुपये तक बढ़ने की आशंका है। अगले वर्ष अप्रैल से भारत स्टेज- VI उत्सर्जन नियम लागू होने पर यह वृद्धि 2 से 2.5 लाख रुपये तक पहुंच सकती है। इससे डीजल कारों की बिक्री सालाना 1.5 से 2 लाख यूनिट्स तक सीमट सकती है।