नई दिल्ली (दस्तक ब्यूरो)। इसे मोदी का असर कहें या कांग्रेस की अतिरिक्त सावधानी। दिल्ली समेत पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव और लगभग छह महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस राहुल पर एक बार फिर दांव लगाने में अचकचा रही है। यही कारण है कि कांग्रेस ने प्रिंयका के साथ कुछ नई उम्मीदें जोड़ी हैं। दादी (पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी) की छाप और तेवर व ग्लैमरस चेहरे के सहारे पार्टी मोदी के प्रभाव को कम करने का प्रयास करेगी। प्रियंका अभी तक सक्रिय राजनीति से दूर रहीं। मां और भाई के लिए अमेठी, रायबरेली में ही चुनावी सभा में दिखीं। लेकिन अब कांग्रेस मिशन 2014 के लिए उन्हें अहम जिम्मेदारी देने जा रही है। मोदी का रथ रोकने की जिम्मेदारी अब उन पर होगी।अगर सियासी माहौल पर नजर डालें तो इसमें कोई दोराय नहीं कि देश भर में मोदी के पक्ष में अंडर करंट है। उनकी रैली और कार्यक्रमों में जुटने वाली भीड़ से कांग्रेस समेत दूसरे दल भी बेचैन हैं। भाजपा ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुनावी बिगुल फूंक दिया है। लेकिन अगर कांग्रेस खेमे की ओर देखें तो उसमें ऐसा कोई चेहरा ऐसा नहीं दिखता जो नेतृत्व का दम रखता है। या कहें कि वह सर्वमान्य हो और जिसके पीछे पार्टी चुनाव के महासमर में कूद सके। सूत्रों के मुताबिक इस हालात में कांग्रेस ने प्रियंका वाड्रा को मोदी के खिलाफ चुनाव में उतारने का निर्णय लिया है। सूत्रों के मुताबिक अभी प्रियंका को केवल लोकसभा चुनावों पर ही फोकस रखने को कहा गया है। दिल्ली, छत्तीसगढ़, मिजोरम, मध्यप्रदेश समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में फिलहाल राहुल को ही अहम भूमिका निभानी होगी।