उत्तर प्रदेशलखनऊ

मोरक्को में डा.जगदीश गांधी ने बुलन्द की ‘बच्चों के सुरक्षित भविष्य के अधिकार’ की आवाज

लखनऊ : सिटी मोन्टेसरी स्कूल के संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने अपनी मोरक्को यात्रा के दौरान ‘बच्चों के सुरक्षित भविष्य के अधिकार’ पर जोरदार ढंग से अपनी आवाज बुलन्द की। डा. गाँधी मोरक्को में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन में बतौर विशिष्ट अतिथि प्रतिभाग कर रहे हैं। इस दौरान डा. गाँधी ने विभिन्न प्रख्यात हस्तियों यथा मोरक्को के न्यायमंत्री माननीय मोहम्मद अज्जार, मोरक्को के फर्स्ट प्रॉसीक्यूटर जनरल मोहम्मद अब्देनाबोउई, भारत के कानून एवं न्याय राज्यमंत्री श्री पी पी चौधरी, मोरक्को में भारत की राजदूत सुश्री केया भट्टाचार्या आदि से मुलाकात की और विश्व समाज में एकता, शान्ति व सौहार्द कायम करने की पुरजोर वकालत की।

इससे पहले, डा. गाँधी के मोरक्को पहुँचने पर वहाँ के न्यायमंत्री माननीय मोहम्मद अज्जार ने एअरपोर्ट पर अगवानी की। विदित हो कि मोरक्को के शासक किंग मोहम्मद के संरक्षण एवं मोरक्को के न्याय मंत्रालय एवं हाई काउन्सिल ऑफ ज्यूडिशियल पॉवर एण्ड प्रेसीडेन्सी ऑफ द पब्लिक प्रॉसीक्यूशन के संयुक्त तत्वावधान में ‘अन्तर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन’ का आयोजन 2 से 4 अप्रैल तक किया जा रहा है, जिसमें कई देशों के न्याय मंत्री, मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश व कानूनविद् आदि प्रतिभाग कर रहे हैं। यह सम्मेलन ‘ज्यूडिशियल इन्डिपेन्डेन्स, इन्श्योरिंग द लिटिगैन्ट्स राइट्स एण्ड रेसपेक्टिंग द रूल्स ऑफ जस्टिस’। इस सम्मेलन में बतौर विशिष्ट अतिथि प्रतिभाग कर डा. गाँधी 5 अप्रैल को स्वदेश लौट रहे हैं।

इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान ‘यूनाइटिंग द वर्ल्ड फॉर चिल्ड्रेन थ्रू इफेक्टिव वर्ल्ड लॉ एण्ड इफेक्टिव ग्लोबल गवर्नेन्स’ विषय पर बतौर विशिष्ट अतिथि बोलते हुए डा. गाँधी ने कहा कि भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की संस्कृति और ‘भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51’, यह दो ऐसी बातें हैं जो संसार के किसी अन्य देश में नहीं है। जहाँ एक ओर भारत की वसुधैव कुटुम्बकम की संस्कृति पूरी वसुधा को कुटुम्ब मानती है तो वहीं दूसरी ओर भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 पूरे विश्व को एकता के सूत्र में पिरोने को प्रतिबद्ध है। डा. गाँधी ने जोरदार अपील करते हुए कहा कि विश्व के ढाई अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य हेतु विश्व में एकता, शान्ति, सहयोग व सौहार्द के वातावरण कायम करना हम सबकी खासकर न्यायिक बिरादरी की अनिवार्य आवश्यकता होनी चाहिए।

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