जी हाँ पश्चिम बंगाल में जन्नत कहा जाने वाला तथा पूर्वी हिमालय की गोद में बसे दार्जिलिंग का नाम तो अपने भी सुना ही होगा। यदि आप अपने पार्टनर को कही घूमने ले जाने का प्लान बना रहे है तो बिना सोचे निकल पढ़िए दार्जिलिंग की ओर। चाय के बागानों के लिए दुनिया भर में नाम बटोरने वाले हिल स्टेशन दार्जिलिंग में कई ऐसी जगहें हैं जहां का दीदार करना आपको बहुत भाएगा। दार्जिलिंग शहर 3149 वर्ग किलोमीटर में क्षेत्र में फैला हुआ है। ट्राएंगल शेप लिए इस शहर का उत्तरी हिस्सा नेपाल और सिक्किम से सटा हुआ है। वैसे तो यहां 12 महीने पर्यटक आते हैं, लेकिन गर्मियों में यहां सैलानियों की संख्या कुछ ज्यादा ही रहती है।
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दार्जिलिंग के लिए टैक्सी, जीप, बस और टॉय ट्रेनें जाती हैं। दार्जिलिंग में विश्व प्रसिद्ध ट्वाय ट्रेन की सैर बेहद रोमांचकारी है। टेढ़े-मेढ़े रास्तों से गुजरती ट्रेन आपको हर पल यादगार अनुभव देगी। न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग तक 78 किलोमीटर लंबे ट्वाय ट्रेन के ट्रैक पर कुल 13 स्टेशन हैं। यह पूरा ट्रैक समुद्र तल से 7546 फीट ऊंचाई पर स्थित है।
दार्जिलिंग आने पर आप टाइगर हिल जाए बिना नहीं रह सकते। यहां की खूबसूरती देखनी है तो आपको तड़के 3 बजे जागना होगा। यहां से सूर्योदय देखना अद्भुत है। सुबह 4 से शाम 6 बजे तक आप यहां जा सकते हैं। इस जगह पर अाप ट्रैकिंग का लुत्फ उठा सकते है। अगर आप पूरा दार्जिलिंग घूमना चाहते हैं तो आप दार्जिलिंग स्टेशन से ट्रेन के जरिए आसपास के प्राकृतिक नजारे देखते हुए घूम मठ तक जा सकते हैं। यहा पर दिन भर में बहुत भीड़ होती है, इसकिए अाप या तो सुबह या फिर शाम को ही जाए।
इस जगह पर अाप देख सकते है कि लोग चाय की खेती करते है। अगर अाप यहां की चाय पीएगे तो दीवाने हो जाएगे। दार्जिलिंग की चाय दुनिया की सबसे महंगी और खुशबूदार चाय मानी जाती है। इस इलाके में ऐसे तकरीबन 86 बागान हैं, जहां की पत्तियां आपको हर रोज सुबह तरोताजा करती है। यहां की बेहतरीन किस्म की चाय को तो निर्यात किया जाता है। अच्छी किस्म की चाय पत्ती खरीदने के लिए आपको 500 से 2000 रुपए तक चुकाने पड़ सकते हैं। कंचनजंघा चोटी यहा की सबसे ऊंची चोटी है। यह चोटी टाइगर हिल के पास ही है। इसकी ऊंचाई 8850 मीटर (29035 फीट) है। मौसम साफ रहने पर टाइगर हिल से ही कंचनजंघा और एवरेस्ट का दीदार हो सकता है। कंचनजंघा इतनी रूमानी जगह है कि इसे सबसे रोमांटिक माउंटेन भी कहते हैं।
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दार्जिलिंग से बतासिया लूप से कंचनजंघा पर्वतमाला का वृहद रूप देखा जा सकता है। देश की आजादी में अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले अमर शहीदों की याद में यहां एक स्मारक भी बनाया गया है, जो सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां की मार्केट से आप पर्स, बैग और अन्य सजावटी सामान खरीद सकते हैं।भूटिया बस्टी मठ दार्जिलिंग का सबसे पुराना मठ है। ऑब्जेरबेटरी हिल पर 1765 ई. में लामा दोरजे रिंगजे ने इसे बनवाया था। यह मठ तिब्बतियन-नेपाली शैली में बना हुआ है। इस मठ में प्राचीन बौद्ध सामग्री रखी हुई हैं, यहां तक आएं तो मखाला मंदिर भी जरूर जाएं।
अगर अाप अपने दोस्तों के लिए यहां की कोई यादगार तोहफा ले जाना चाहते हैं तो तिब्ब्तियन रिफ्यूजी कैंप जरूर जाएं। इस कैंप में कई तिब्बती शरणार्थी रहते हैं। यही लोग कारपेट, ऊनी कपड़े, लकड़ी की कलाकृतियां, धातु के बने खिलौने आदि बेचते हैं। यहां आप इन सामानों को बनाने की पूरी प्रक्रिया भी देख सकते हैं, जो अपने आप में अनोखी है।