यहां वर-वधू की कुंडली नहीं, अब जीन मिलने पर होगी शादी
एजेंसी/ शादी के पहले वर-वधु की कुंडली मिलाने का रिवाज वर्षों पुराना है. भारतीय परम्परा के अनुसार कुंडली मिलने के बाद ही शादी का रिश्ता तय होता हैं, लेकिन अब मध्यप्रदेश के शहडोल संभाग में अनुवांशिक बीमारियों के बढ़ते प्रकोप के कारण जल्द ही वर-वधू के जीन का मिलान कराया जाएगा. जीन्स के मिलान होने के बाद ही शादी करने की सलाह दी जाएगी.
दरअसल, प्रदेश के शहडोल संभाग में सिकलसेल, थैलीसीमिया सहित अनुवांशिक बीमारियों के बढ़ते प्रकोप के कारण प्रशासन ने जल्द ही आने वाले दिनों में शहडोल सहित अनूपपुर, मंडला और डिण्डोरी में विशेष लैब खोलने का फैसला लिया है.
जिला पंचायत की उपाध्यक्ष पूर्णिमा तिवारी ने बताया कि, सिकलसेल और थैलीसीमिया सहित अनुवांशिक बड़ी बीमारियों की रोकथाम के लिए विशेष लैब खोले जाएंगे. जिनमें अलग से विशेष डॉक्टर और टेक्निशियनों की ड्यूटी भी लगाई जायेगी.
विशेष लैब में वर और वधू पक्ष दोनों का जीन टेस्ट किया जायेगा, टेस्ट सिकलसेल और थैलीसीमिया का होगा और अगर दोनों पक्षों में रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो आने वाले पीढ़ी को बीमारियों से खतरा होगा. इसके साथ ही वर-वधू पक्ष को यह भी जानकारी दी जायेगी कि, आने वाले बच्चे को कौन सी बीमारीयों से खतरा हो सकता है.
क्या है सिकलसेन और थैलीसीमिया
विशेषज्ञ शिल्पी सराफ ने बताया कि, सिकलसेन और थैलीसिमिया के मरीजों को हर दिन मौत का खतरा बना रहता है. इन दोनों ही बीमारियों का अब तक कोई इलाज संभव नहीं हो पाया है. यह बीमारी होने के बाद मरीज का आरसीबी टूटने लगता है और धीरे-धीरे बीमार व्यक्ति की छोटी-छोटी धमनियों को ब्लॉक कर देता है.
थैलीसिमिया होने के बाद हीमोग्लोबिन 10 से 15 दिन में टूट जाता है, जबकि सामान्य व्यक्ति का हीमोग्लोबिन 120 तक भी अलग नहीं होता है. उन्होंने कहा कि दोनों ही बीमारियों से बचाव के लिए हर वर-वधू को शादी से पहले जीन का टेस्ट जरूर कराना चाहिए.