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येदियुरप्पा का झटका, कोर्ट ने 15 साल पुराने भ्रष्टाचार मामले में जांच के दिए आदेश

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के पुराने भ्रष्टाचार मामले में जन प्रतिनिधियों से जुड़ी एक विशेष अदालत ने जांच करने के आदेश दिए हैं। शनिवार (03 जुलाई) को जन प्रतिनिधियों से जुड़ी एक विशेष अदालत ने बेंगलुरु में जमीन को गैर-अधिसूचित करने के 15 साल पुराने मामले में सीएम येदियुरप्पा के खिलाफ जांच बंद करने की अनुमति मांगने वाली लोकायुक्त द्वारा दायर एक क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दी है। इस मामले में येदियुरप्पा के उपमुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान भूमि सौदों में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे।

जज श्रीधर गोपालकृष्ण भट ने याचिक खारिज करते हुए कहा, सीआरपीसी की धारा 173(2) के तहत जांच अधिकारी द्वारा सौंपी गई ”बी रिपोर्ट” खारिज की जाती है। इसलिए सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत अब इस ममाले में जांच तेजी से की जानी चाहिए। कोर्ट ने जांच की अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में जांच के आदेश दिए थे।

कोर्ट ने 21 अगस्त 2021 तक जांच रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जांच अधिकारी हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में जांच में की गई देरी के संबंध में की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखेगा। बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट ने पिछले साल दिसंबर 2020 में आदेश दिए थे। जिसके बाद 18 जनवरी 2021 को विशेष अदालत को सूचित किया गया था कि येदियुरप्पा द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत कोई भी अपराध नहीं किया गया था।

बीएस येदियुरप्पा पर आरोप है कि वह डिप्टी सीएम रहते हुए (2006-07 ) लगभग 434 एकड़ भूमि के अवैध रूप से गैर अधिसूचित किया था। ये पूरा मामला बेल्लंदूर और दीवारबीसनहल्ली की जमीन से जुड़ा है। इस जमीन का संबंध वार्थुर-व्हाईटफील्ड आईटी कॉरिडोर से था। 2000-01 में यह जमीन व्हाइटफील्ड और इलेक्ट्रॉनिक सिटी आईटी हब के लिए अधिग्रहित की गई थी। जिसे एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे येदियुरप्पा 2006-07 के दौरान गैर अधिसूचित कर दिया था।

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