अन्तर्राष्ट्रीय

येल पर्यावरण प्रदर्शन सूची में भारत 155वें पायदान पर

incवाशिंगटन। कई क्षेत्रों में सुधार करने के बावजूद भारत विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं जिनमें चीन भी शामिल है में पर्यावरण की चुनौतियों से निबटने में काफी पीछे रह गया। येल विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं के अध्ययन के अनुसार भारत में वायु की गुणवत्ता नाटकीय रूप से घटी है। येल विश्वविद्यालय द्वारा जारी पर्यावरण प्रदर्शन सूची-2०14 (ईपीआई-2०14) में भारत 178 देशों में 155वें स्थान पर है, जबकि चीन 118वें ब्राजील 77वें रूस 73वें और दक्षिण अफ्रीका 72वें स्थान पर रहा। कनक्टिकट स्थित न्यू हेवन संस्थान ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि भारत ईपीआई-2०14 में शामिल लगभग सभी नीतियों के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश है। हालांकि वन मत्स्यपालन और जल संसाधन के क्षेत्र में भारत का प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा। लेकिन पर्यावरणीय क्षति के चलते मानव स्वास्थ्य के संरक्षण में भारत की प्रगति विशेष रूप से खराब रही। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है ‘‘विशेष तौर पर भारत में वायु की गुणवत्ता विश्व में सबसे खराब पाई गई। औसत वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वाली औसत आबादी के हिसाब से चीन में भी यह अनुपात स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सीमा को पार कर गई।’’ रिपोर्ट के मुख्य लेखक एवं येल पर्यावरणीय कानून एवं नीति केंद्र के एंजेल सू ने कहा ‘भारत हालांकि चीन ब्राजील रूस और दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ विश्व का उभरता हुआ बाजार बन रहा है लेकिन पर्यावरण के मामले में भारत अन्य विकासशील देशों से पीछे रह गया।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी के साथ अत्यंत कम प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद का मतलब है कि भारत में पर्यावरण से संबंधित चुनौतियां अन्य उभरती अर्थव्यस्थाओं की अपेक्षी कहीं अधिक भयावह हैं।’ ईपीआई-2०14 में स्विटजरलैंड ने शीर्ष स्थान हासिल किया जबकि लक्जमबर्ग आस्ट्रेलिया सिंगापुर और चेक गणराज्य शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं।

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