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राजस्थान में है चौथ मंदिर, होती है करवा मां की पूजा, लगती है भक्तों की भारी भीड़

जयपुर : राजस्थान का एक ऐसा मंदिर है, जहां मां करवा की पूजा होती है। राजस्थान के सवाई माधोपुर में स्थित यह मंदिर यहां का सबसे प्राचीन और सुप्रसिद्ध माना जाता है। लोक मान्यताओं के अनुसार इसकी स्थापना 1451 में राजा भीम सिंह ने की थी। इस मंदिर की प्राचीनता न केवल राजस्थान बल्कि विदेशों तक भी फैली हुई है। लेकिन यहां करवा चौथ, भाद्रपद चौथ, माघ चौथ और लक्खी मेला पर लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन को आते हैं। गौरतलब है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन चौथ माता के मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चौथ माता गौरी यानि देवी पार्वती का ही एक रूप हैं। करवा चौथ के दिन चौथ माता की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है और दांपत्य जीवन में भी सुख बढ़ता है। करवा चौथ पर देश-विदेश से कई विवाहित जोड़े यहां आते हैं और व्रत रखते हैं। मंदिर को देखने पर प्रतीत होता है कि यह मंदिर राजपूताना शैली में सफ़ेद संगमरमर का बना हुआ है। इस मंदिर में चौथ माता के साथ भगवान गणेश और भैरवनाथ भी विराजमान हैं। मंदिर की उंचाई लगभग 1100 फीट है। यहां पहुंचने के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। कहा जाता है कि हाड़ौती क्षेत्र के लोग हर शुभ काम करने से पहले सर्वप्रथम चौथ माता को निमंत्रण देते हैं, उसके बाद ही वह अपने शुभ काम को अंजाम देते हैं। माता में आस्था होने की वजह से बूंदी राजघराने में आज तक इन्हें कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। यहां पति की लंबी उम्र, संतान प्राप्ति और सुख-समृद्धि की कामना लेकर भक्तजन चौथ माता के दर्शनों को आते हैं। मान्यता है कि मंदिर में जल रही अखण्ड ज्योति सैकड़ों सालों से प्रज्वलित है। वैसे तो यहां पर प्रतिदिन भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है परंतु करवा चौथ पर यहां का नज़ारा कुछ अलग ही होता है।

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