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रामदेव बोले, मैं इंटरनेशनल भिखारी, झोली फैलाकर अपील

images (18)दस्तक टाइम्स एजेंसी/ योग गुरु बाबा रामदेव ने कैथल में हुए कार्यक्रम में लोगों से नशा छोड़ने का आह्वान करते हुए कुछ ऐसा कहा, सुनने वाले चौंक गए।
बाबा रामदेव बोले, मैं इंटरनेशनल भिखारी हूं, झोली फैलाकर अपील करता हूं कि बीड़ी-शराब छोड़ दो। इसके अलावा योग गुरु हरियाणवी अंदाज में रंगे दिखे। अपने पौने दो घंटे के भाषण व योग प्रशिक्षण कार्यक्रम में उन्होंने अपनी बातों से जहां सभी को गुदगुदाया, वहीं विदेशी कंपनियों पर कटाक्ष किया। अपनी बेबाकी के लिए प्रसिद्ध योग गुरु कई धर्मगुरुओं पर कटाक्ष करने से भी नहीं चूके। जाते-जाते हरियाणा के लोगों को आपसी भाईचारे को कायम रखने का संदेश भी दे गए।
बाबा रामदेव ने विदेशी कंपनियों पर भी कटाक्ष किए, वहीं धर्मगुरुओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ दिन पहले समोसे में लाल चटनी खाने से कृपा आने की बात सुनी थी। ऐसे कृपा नहीं आती। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में हर जिले में गायों की नस्ल में सुधार के लिए गोशाला खोली जाएंगी। इसके लिए 500 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया जा रहा है। इस समय पूरे प्रदेश में दो करोड़ गायें बची हैं। नस्ल सुधार में दूध देने की क्षमता को बढ़ावा दिया जाएगा।
बाबा रामदेव ने विदेशी कंपनियों पर भी कटाक्ष किए, वहीं धर्मगुरुओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ दिन पहले समोसे में लाल चटनी खाने से कृपा आने की बात सुनी थी। ऐसे कृपा नहीं आती। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में हर जिले में गायों की नस्ल में सुधार के लिए गोशाला खोली जाएंगी। इसके लिए 500 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया जा रहा है। इस समय पूरे प्रदेश में दो करोड़ गायें बची हैं। नस्ल सुधार में दूध देने की क्षमता को बढ़ावा दिया जाएगा।
प्रदेश में पिछले दिनों हिंसा के बाद पनपे कटुता के माहौल के बीच योग गुरु बाबा रामदेव ने सभी जातियों से भाईचारा बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि आपसी भाईचारे से ही प्रदेश और देश उन्नति के शिखर तक पहुंच सकते हैं। प्रदेश में सभी बिरादरियां प्राचीन समय से आपसी मेल जोल से रहती आई हैं और अब आगे भी एक साथ मिलकर रहेंगे। हरियाणा में उपद्रव के कारण समाज में जो खाई आ गई है, उसे पाटने का काम करना है।
बाबा रामदेव ने कहा कि सभी आत्माओं में परमात्मा का निवास होता है। हमें ऐसे हरियाणा का निर्माण करना है, जहां पर एक गलती करने वाले इंसान को रोकने के लिए हजारों व्यक्ति एक साथ आकर खड़े हों। उन्होंने कहा कि सभी वर्ग शांति पूर्वक अपनी बातें कहें तथा हिंसक घटनाओं में शामिल न हों। इस मौके पर अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के मूल में महर्षि दयानंद सरस्वती थे। उन्होंने संपूर्ण विश्व में वेदों का प्रचार किया।

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