नई दिल्ली : महावीर जयंती जैन समुदाय का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। महावीर जयंती पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी को बधाई दी। भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की 13वीं तिथि को हुआ था। इसी वजह से जैन धर्म को मानने वाले इस दिन को महावीर जयंती के रूप में मनाते हैं। भगवान महावीर को जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है। इनके बचपन का नाम वर्धमान था। महावीर के तीन आधारभूत सिद्धांत हैं अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकान्त हैं। ये युवाओं को आज की भागमभाग और तनाव भरी जिंदगी में सुकून की राह दिखाते हैं। महावीर की अहिंसा केवल शारीरिक या बाहरी न होकर, मानसिक और भीतर के जीवन से भी जुड़ी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि भगवान महावीर के शांति, अहिंसा तथा समरसता के संदेश हम लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी ट्वीट कर महावीर जयंती की बधाई दी है। कोविंद ने ट्वीट किया- महावीर जयंती के अवसर पर, मैं सभी देशवासियों, विशेषकर जैन समुदाय को, बधाई देता हूं। भगवान महावीर की शिक्षाएं आज के युग के लिए प्रासंगिक और महत्वपूर्ण हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने महावीर जयंती की शुभकामनाएं देते हुए लिखा कि आज महावीर जयंती के शुभ अवसर पर बधाई। भगवान महावीर की शिक्षाएं हमें अहिंसा, करुणा और शांति के संदेश के साथ हमेशा प्रेरणा देंगे। वहीँ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा कि आप सभी को महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
दरअसल, जहां अन्य दर्शनों की अहिंसा समाप्त होती है, वहां जैन दर्शन की अहिंसा की शुरुआत होती है। महावीर मन-वचन-कर्म, किसी भी जरिए की गई हिंसा का निषेध करते हैं। बचपन में महावीर का नाम वर्धमान था, उन्होंने तीस वर्ष की उम्र में राजमहल का सुख-वैभवपूर्ण जीवन त्याग कर तपोमय साधना का रास्ता अपना लिया। इन्होंने कठोर तप से सभी इच्छाओं और विकारों पर काबू पा लिया इसलिए वर्धमान अब महावीर कहलाने लगे। ज्ञान की प्राप्ति के बाद महवीर जन-जन के कल्याण और अभ्युदय के प्रयास में जुट गए। महावीर ने साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका- इन चार तीर्थों की स्थापना की इसलिए यह तीर्थंकर कहलाए। यहां तीर्थ का अर्थ लौकिक तीर्थों से नहीं बल्कि अहिंसा, सत्य आदि की साधना द्वारा अपनी आत्मा को ही तीर्थ बनाने से है। महावीर जयंती के दिन जैन मंदिरों में महावीर की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है। इसके बाद मूर्ति को एक रथ पर बैठाकर जुलूस निकाला जाता है, जिसमें जैन धर्म के अनुयायी बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। मिली जानकारी के अनुसार भगवान महावीर की शादी यशोधरा नाम की राजकुमारी से हुआ था। विवाहोपरांत भगवान महावीर और यशोधरा ने एक बेटी प्रियदर्शना को जन्म दिया था। हालांकि दिगंबर सुमदाय की मान्यता है कि भगवान महावीर का विवाह नहीं हुआ था, वे ब्रह्मचारी थे। उन्होंने कहा था कि मनुष्य के दुखी होने की वजह खुद की गलतियां ही है जो मनुष्य अपनी गलतियों पर काबू पा सकता है वही मनुष्य सच्चे सुख की प्राप्ति भी कर सकता है। आपात स्थिति में मन को डगमगाना नहीं चाहिये। आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है। खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है। आपने कभी किसी का भला किया हो तो उसे भूल जाओ। और कभी किसी ने आपका बुरा किया हो तो उसे भूल जाअो।