नई दिल्ली : डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहे रुपये पर केंद्र सरकार ने पहली बार चिंता जाहिर की है। कहा इस संकट से बाहर निकलने के लिए सरकार नॉन रेजिडेंट इंडियन्स “एनआरआई” की मदद ले सकती है। भारतीय करंसी, इस वक्त एशिया में सबसे बुरा प्रदर्शन करनेवाली करंसी बन गई है। सोमवार को भी भारतीय रुपये में गिरावट जारी रही। आयातकों की ओर से अमेरिकी मुद्रा की मजबूत मांग की वजह से रुपया डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट के साथ पहली बार 72.50 स्तर से भी नीचे चला गया। अमेरिका में रोजगार आंकड़ों में तेजी से अन्य प्रमुख विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर मजबूत हुआ है। सरकार “एनआरआईज” की मदद से चालू खाते और व्यापार के घाटे को कम करना चाहती है, जिससे तेल की बढ़ती कीमतों को भी कंट्रोल किया जा सके। मिली जानकारी के मुताबिक, वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इसपर मिलकर काम कर रहे हैं। जरूरत पड़ने पर आरबीआई भी करंसी मार्केट में हस्तक्षेप कर सकता है। आरबीआई, इससे पहले से ही नियंत्रित तरीके से डॉलर्स को बेचने का काम कर रहा है। इसकी वजह विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी आना है। यह अप्रैल तक 426 बिलियन डॉलर से घटकर 400 बिलियन डॉलर तक आ गया था| अधिकारी फिलहाल इस गिरावट को लेकर चिंता में नहीं हैं। वहीं, आगे स्थिति और बिगाड़ने से बचाने के लिए सरकार “एनआरआई” से संपर्क करेगी, और उन्हें फॉरेक्स मार्केट में डॉलर बेचने को कहेगी, जिससे उसकी कीमत थोड़ी कमजोर हो। इससे पहले 2013 मे केंद्रीय बैंक ने ऐसा ही करके अन्तर्वाह को 34 बिलियन डॉलर तक बढ़ाया था। उस वक्त ऐसा करने से रुपये को रेकॉर्ड गिरावट से बाहर निकालने में मदद मिली थी।
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