उधर, महापौर को जब मौके से कई बार फोन किया गया तो वह शायद नींद में थे और फोन नहीं उठाया। लेकिन उनका क्या, जो रातभर निगम को कोसते हुए सड़क पर जिंदगी काट रहे हैं। पेश है अमर उजाला के रिपोर्टर सुनीत द्विवेदी और फोटो
जर्नलिस्ट संजय नेगी की पड़ताल…
एक करोड़ आठ लाख रुपये से बन इस रैन बसेरे में 139 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। यहां ताला लटका हुआ है। गार्ड भी नहीं दिखाई दे रहा है। पास में सड़क किनारे लेटे राजकुमार ने बताया कि साहब, बीते सात दिन से यह बंद पड़ा है। सड़क किनारे रात गुजारने को मजबूर हूं। हर दिन इसी आस में यहां आता हूं कि आज सिर ढकने को जगह मिल जाएगी।
रात 11 बजे
स्थान- चुक्खू मोहल्ला स्थित रैन बसेरा
करीब 36 लाख की लागत से बना रैन बसेरा खुला था। यहां मौजूद गार्ड अंदर लेकर जाता है। रास्ते में पानी पड़ा हुआ है। कमरे के अंदर घुसने से पहले ही इतनी बदबू थी कि रुमाल से नाक ढकनी पड़ी। यहां के हालात को देखकर लगता है कि लंबे समय से साफ-सफाई नहीं हुई है। बदबूदार रैन बसेरे में 35 लोग रात गुजार रहे थे। उनका कहना है कि बदबू तो उन्हें भी आती है, लेकिन अगर बाहर सोए तो पता नहीं सुबह उठ पाएंगे या नहीं।
समय- रात 11.45 बजे
स्थान- चूनाभट्टा, रायपुर रोड स्थित रैन बसेरा
करीब 70 लाख से बने इस रैन बसेरे के हालात लालपुल जैसे ही दिखे। गेट में ताला लटका हुआ था। सन्नाटे के बीच यहां पास में बैठे गोविंद ने बताया कि इस पर हमेशा ताला लटका रहता है। जिसके कारण रोजाना तमाम बेसहारा यहां से मायूस होकर लौट जाते हैं।