जीवनशैली

रोज इतनी देर सेंकेंगे धूप तो शरीर के कई रोग हो जाएंगे दूर


जीवनशैली : जाड़ों की नर्म धूप और आंगन में लेट कर…, गुलजार साहब ने जब यह लिखा था तो घरों में आंगन और आंगन में धूप की मौजूदगी आम थी, लेकिन अब शहर में घरों में धूप बहुत कम ही नसीब होती है। अगर धूप मिल भी जाए तो आंगन मिलना मुश्किल है। बहरहाल, आंगन न मिले तो बालकनी ही सही, जाड़ों में धूप सेंकने का जुगाड़ जरूर लगाएं। जब धूप कुछ लम्हों के लिए ही मिले तो भी उसका फायदा पूरे शरीर को मिलना चाहिए। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
धूप की तपिश के फायदे :
– गर्म होता है शरीररू अग्नि (ऊष्मा) का मुख्य सोर्स होने के कारण सूर्य की रोशनी ठंड से सिकुड़े शरीर को गर्माहट देती है, जिससे शरीर के भीतर की ठंडक और पित्त की कमी दूर होती है। आयुर्वेद में सनबाथ को आतप सेवन नाम से जाना जाता है।
– मिलता है विटामिन डीरू विटामिन डी शरीर में हड्डी की मजबूती के लिए अहम है। इस विटामिन का जरूरी नेचरल सोर्स सूर्य की रोशनी ही है। शरीर में उचित मात्रा में विटामिन डी मौजूद होने पर ही शरीर कैल्शियम का अवशोषण कर पाता है।
– बढ़ती है इम्यूनिटीरू सूरज की रोशनी में ऐसे चमत्कारी गुण होते हैं, जिनके कारण शरीर पर विभिन्न प्रकार के इन्फेक्शंस के असर की आशंका कम हो जाती है। इससे शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है। धूप के सेवन से शरीर में डब्ल्यूबीसी का पर्याप्त निर्माण होता है जो रोग पैदा करने वाले कारकों से लडने का काम करते हैं।
– बचाव कैंसर सेरू सूरज की किरणों से शरीर को कैंसर से लडने वाले तत्व मिलते हैं। इससे कैंसर का खतरा टलता है तो जिन्हें कैंसर है उन्हें भी लाभ होता है।
– ठीक होता है पाचनरू आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में पाचन का कार्य जठराग्नि द्वारा किया जाता है, जिसका मुख्य स्रोत सूर्य है। दोपहर (12 बजे के आसपास) में सूर्य अपने चरम पर होता है और उस समय तुलनात्मक रूप से जठराग्नि भी ज्यादा सक्रिय होती है। इसलिए कहा जाता है कि इस समय लिया गया भोजन अच्छी तरह से पचता है।
– बनते हैं पॉजिटिव हॉर्मोनरू आपको अच्छा महसूस कराने वाले हॉर्मोन सेरेटॉनिन और एंडोर्फिन का धूप के असर से शरीर में पर्याप्त स्राव होता है, जोकि डिप्रेशन, सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर, साइकॉलजिकल-इमोशनल हेल्थ और बॉडी क्लॉक-रिद्म के संतुलन में फायदेमंद है।
फायदे और भी हैंरू
-धूप सेंकने से नींद नहीं आने की समस्या दूर होती है क्योंकि धूप का सीधा असर हमारे पीनियल ग्लैंड पर होता है। यह ग्लैंड शरीर में मेलाटोनिन नामक हॉर्मोन बनाता है। एक ऐसा पावरफुल एंटी-ऑक्सीडेंट मेलाटोनिन हमारी नींद की क्वॉलिटी तय करता है और डिप्रेशन को भी दूर रखता है।
-सुबह की धूप सेंकने से त्वचा संबंधी कई लाभ भी होते हैं। धूप सेंकने से खून साफ होता है और फंगल प्रॉब्लम, एग्जिमा, सोरायसिस और स्किन संबंधी दूसरी कई बीमारियां दूर होती हैं। यह बीपी को कम करने में भी मदद करती है।
कितनी देर हो धूप से मिलन
-धूप का भरपूर लाभ लेने के लिए सप्ताह में कम से कम 3-4 बार सुबह (10रू30 से 12 बजे) या ढलती दोपहर (3 से 5 बजे तक) से 20 से 30 मिनट गुनगुनी धूप में बैठना अच्छा माना जाता है।
-बच्चों में कफ ज्यादा बनता है। ऐसे में उनके लिए सुबह 10 बजे के बाद ही धूप सेवन अच्छा रहता है क्योंकि सुबह में कुछ ठंड ज्यादा रहती है।
-बुजुर्गों के लिए दोपहर का समय धूप सेंकने के लिए ज्यादा लाभदायक माना जा सकता है।
-पर्याप्त विटामिन डी के लिए गोरे लोगों को सांवले या काले रंग के लोगों के मुकाबले कम समय धूप सेंकने की जरूरत होती है। सामान्य रंग वाले व्यक्ति 30 मिनट, गोरे रंग वाले 15-20 मिनट जबकि सांवले या काले रंग वाले व्यक्ति को 30 मिनट से ज्यादा धूप सेवन करना चाहिए।
धूप से ज्यादा मिलन परेशानी का सबब भी
-समय तक धूप में बैठने से पिग्मेंटेशन, स्किन एलर्जी, स्किन कैंसर, एजिंग इफेक्ट, कालापन, डिहाइड्रेशन, आंखों की परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वैसे भी अति हर चीज की बुरी होती है। इसलिए जितना बताया गया है, उतना ही समय धूप में बैठना चाहिए।
-शरीर में त्वचा का रंग तय करने वाले मैलेनिन, हिमोग्लोबिन और केरोटिन जैसे कुछ तत्व होते हैं। ज्यादा धूप में लगातार रहने से कुछ लोगों में अल्ट्रावॉयलेट किरणों के प्रभाव से इनका उत्पादन गड़बड़ाने लगता है। इससे कुछ समय बाद स्किन के टैन होने का खतरा बढ़ जाता है।
सन टैन यानी धूप का स्याह रंग
धूप में ज्यादा बैठने से सन टैन (धूप की वजह से त्वचा का काला पडना) की समस्या हो सकती है। यहां इस बात को जानना जरूरी है कि धूप के प्रति लोगों की संवेदनशीलता अलग-अलग हो सकती है। किसी को 20 मिनट धूप में रहने से भी यह हो सकती है, वहीं किसी को 1 घंटे में भी नहीं होती। जब जाड़ों की धूप स्किन को परेशान करने लगे तो धूप से हटना सही विकल्प रहेगा।
जब सन टैन हो जाए तो…
-आयुर्वेद के अनुसार, समान गुणों वाली चीजें लेने से उन गुणों में वृद्धि होती है जबकि विपरीत गुणों वाली चीजें लेने से कमी होती है। ऐसे में परेशानी होने पर पित्त या गर्मी बढ़ाने वाली चीजों से बचना चाहिए यानी प्राकृतिक रूप से ठंडी प्रकृति वाली चीजों का उपयोग करना फायदेमंद रहता है।
’ प्रभावित हिस्से को धूप के संपर्क से बचाएं। तेज धूप में शरीर को स्कार्फ, चश्मा, कैप, फुल स्लीव शर्ट या छाते की सहायता से सुरक्षित रखें।
’ 2 से 3 लीटर या फिर जरूरत के हिसाब से पानी पीएं।
’ प्रभावित भाग पर एलोवेरा का पल्प या जेल, खीरा या कच्चे आलू की स्लाइस या रस, चंदन का पेस्ट, गुलाब जल, बेसन-हल्दी का पेस्ट या मसूर दाल का पेस्ट कच्चे दूध या गुलाब जल में तैयार कर लगाएं।
’ नारियल तेल या कुमकुमादि तेल का प्रयोग भी लाभदायक है।
इन बाहरी उपायों के अलावा, समस्या के अनुसार अन्य दवाइयां डॉक्टर्स की सलाह से ले सकते हैं।
सावधानियां
-कई बार धूप में कम गर्मी हो तो ठंड लग सकती है। ऐसे में जुराब, टोपी आदि उतार कर धूप में बैठें ताकि पूरी धूप लग सके।
-जो लोग सूर्य की किरणों या धूप के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हैं वे धूप की तरफ मुंह की बजाय पीठ करके बैठ सकते हैं।
-जिनके पास एक जगह बैठकर धूप सेंकने का टाइम नहीं है, वे चलते-फिरते अपने कामों को निपटाने के दौरान भी धूप की तपिश का लाभ ले सकते हैं।
-धूप में ज्यादा देर बैठना हो तो साथ में पानी लेकर बैठें। बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें।
तेल मालिश…तेल मालिश
गुनगुनी धूप में तेल मालिश का शरीर को काफी फायदा होता है, लेकिन इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। जानते हैंरू
-ज्यादा ठंडी हवा में खुले बदन मालिश न करे, ठंड लग सकती है।
-धूप सेंककर और मालिश करके एकदम ठंडे पानी से न नहाएं। इसी तरह नहाकर फौरन धूप में आकर न बैठें, सर्द-गर्म हो सकता है।
तेल और उनके फायदे
मालिश के लिए अलग-अलग तेलों का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें से कुछ तेल और उनके लाभ इस प्रकार हैंरू
किस तेल से करें मेल
सरसों का तेल
-ब्लड सर्कुलेशन में सुधार।
-त्वचा का सॉफ्ट होना।
-मांसपेशियों से तनाव को दूर करना।
-सर्दियों में धूप में सरसों तेल की मालिश से शरीर में सूर्य की किरणों से मिलने वाला विटामिन-डी अच्छी तरह समा जाता है।
-सरसों तेल से स्वेट ग्लैंड्स ऐक्टिव हो जाते हैं जिससे शरीर के विषैले तत्व आसानी से बाहर निकल जाते हैं। बिना तेल मालिश के सन बाथ लेने से भी ऐसा ही होता है।
-सरसों के तेल में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं। इससे मालिश से त्वचा के इन्फेक्शन दूर हो जाते हैं। सरसों के तेल में विटामिन-ई भी होता है जिससे त्वचा की झुर्रियां आदि दूर हो जाती हैं।
-सरसों के तेल की तासीर गर्म होती है। सर्दियों में इसके इस्तेमाल से सर्दी से भी बचाव होता है।
तिल का तेल
-इस तेल में अल्ट्रावायलेट किरणों से शरीर की रक्षा करने का प्राकृतिक गुण होता है। नियमित रूप से इसके उपयोग से सूर्य की किरणों के सीधे संपर्क में रहने के बावजूद किरणों के हानिकारक प्रभाव से रक्षा होती है। इससे बढ़ती उम्र का त्वचा पर असर कम दिखाई देता है।
-हवा में मौजूद प्रदूषण और धुएं के दुष्प्रभावों से भी रक्षा करता है।
-यह अपने एंटीबैक्टीरियल और एंटीइन्फ्लैमेट्री गुणों के कारण सभी तरह की त्वचा के लिए सुरक्षित होता है।
-इसमें कॉपर, मैंगनीज, कैल्शियम और मैग्नीशियम मौजूद होते हैं। साथ ही, इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं जिनसे यह आसानी से त्वचा में समाकर इसे मुलायम बना देता है।
-तिल के तेल में विटामिन ई, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और विटामिन डी की मात्रा ज्यादा होती है जो शरीर के लिए बहुत ही जरूरी माने जाते हैं।
अतिबला के तेल में खूब है बल
-आयुर्वेद में अतिबला (काकही या भारतीय मॉलो) और बला से बने तेल को नर्वस सिस्टम के सभी तरह के विकारों, जोड़ों की दर्द, मांसपेशियों की जकडन, लंबी बीमारी के बाद की कमजोरी दूर करने में कारगर माना जाता है। यह चेहरे के लकवे की दशा में कारगर माना गया है।
दूसरे खास तेल
-अलसी का तेल जोड़ों के दर्द में उपयोगी है।
-बादाम और अखरोट के तेल से त्वचा की कोमलता और चमक बनी रहती है। इनसे झुर्रियां और झाइयां दूर होती हैं।
-शरीर में दर्दों को दूर करने के लिए सरसों के तेल में अजवाइन या लहसुन पकाकर मालिश करना भी अच्छा माना जाता है।
ये हैं फायदे
-तेल मालिश से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। इससे शरीर और दिमाग की थकान दूर होती है।
-तेल मालिश हल्के हाथों से धीरे-धीरे करनी चाहिए, इससे शरीर की सिंकाई भी हो जाती है और मालिश भी।

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