रोहिंग्या समुदाय : सू की ने तोड़ी चुप्पी, कहा-राष्ट्रहित से समझौता नहीं
रोहिंग्या समुदाय के लोगों के खिलाफ हिंसा को लेकर चौतरफा आलोचनाओं का सामना कर रहे म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि उनका देश ऐसी आलोचनाओं से डरने वाला नहीं है और किसी भी स्थिति में देश की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। सुश्री सू की ने कहा कि म्यांमार ने राखिने प्रांत में शांति स्थापित करने की हरसंभव कोशिश की लेकिन रोहिंग्या समुदाय लोगों ने पुलिस वालों और बेगुनाह लोगों पर हमले किए। म्यांमार आतंकवाद से लड़ रहा था। उन्होंने कहा कि बेघर हुए लोगों के लिए हमें दुख है और सुरक्षा बलों की कार्रवाई के दौरान अगर किसी तरह के मानवाधिकार उल्लंघन हुआ है तो इसकी जांच कराई जायेगी। उन्होंने कहा कि दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।
देश भर से खदेड़े जा रहे रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर सुश्री सू की ने कहा कि 70 साल से देश को शांति और स्थिरता की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि राखिने प्रांत में शांति स्थापना के लिए एक समिति बनाई गई है जिसकी अगुआई के लिए संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि म्यांमार अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं से डरता नहीं है लेकिन राखिने के लोगों को हुई परेशानी का हमें खेद है।
चीन ने भी देश के सुरक्षा हितों के संरक्षण की कोशिशों और राखिने प्रांत में हाल में हुई हिंसक घटनाओं के खिलाफ म्यांमार की कार्रवाई का समर्थन किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने आज यहां एक बयान जारी करके बताया कि विदेश मंत्री वांग यी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को संयुक्त राष्ट्र में आयोजित एक बैठक के दौरान कहा कि म्यांमार ने अपने देश की सुरक्षा के लिए जो भी कदम उठाया है, चीन उसका समर्थन करता है। गौरतलब है कि पश्चिमी म्यांमार के राखिने प्रांत में गत 25 अगस्त को रोहिंग्या विद्रोहियों के पुलिस चौकियों तथा सेना के शिविरों पर हमले करने के बाद से उनके खिलाफ शुरू हुई हिंसक कार्रवाई अब भी जारी है। इन हमलों में करीब 12 लोगों की मौत हुई थी। हिंसक कार्रवाई के कारण म्यांमार से अब तक चार लाख से अधिक रोहिंग्या बांग्लादेश पलायन कर चुके हैं।