लखनऊ के चार विधायक बने मंत्री, बृजेश, रीता और आशुतोष को कैबिनेट तो स्वाति को भी लाल बत्ती
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने जहां सबसे ज्यादा सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया है, वहीं राजधानी लखनऊ की नौ सीटों में से आठ सीटों पर कमल खिलाकर भी इतिहास बनाया था। इनमें से चार विधायकों को मंत्री बनाकर लालबत्ती से नवाजा गया है।
रविवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ के मंत्रीमंडल में लखनऊ कैंट से जीतीं रीता बहुगुण जोशी, सरोजनीनगर से विधायक स्वाति सिंह, लखनऊ मध्य से विधायक ब्रजेश पाठक और लखनऊ पूर्व से विधायक आशुतोष टंडन उर्फ गोपाल टंडन को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई जिसमें से रीता बहुगुण जोशी, ब्रजेश पाठक और आशुतोष टंडन को जहां कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला वहीं स्वाति सिंह को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनी हैं। पिछली अखिलेश यादव सरकार में राजधानी लखनऊ से तीन लोग ही मंत्री थे।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ऐसा पहली बार रहा है जब लखनऊ जिले में सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं दो ऐसी सीटों पर भी अपना परचम लहराया जहां पर बीजेपी कभी जीती नहीं थी। यह सीटें हैं सरोजनी नगर और मलिहाबाद। इन दोनों सीटों पर बीजेपी की महिला उम्मीदवारों अपने विरोधियों को पटखनी दी है जिसके बाद उन्हें मंत्री बनाया गया है।
अपर्णा को हराने का रीता को मिला ईनाम
इस बार के विधानसभा चुनाव में लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट पर हाईप्रोफाइल मुकाबला था। सपा की तरफ से जहां मुलायम सिंह यादव की छोटी बहुत अपर्णा यादव चुनाव मैदान में थीं, वहीं बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाली डॉ. रीता बहुगुणा जोशी को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था। इस सीट से डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने सपा की अपर्णा यादव को 33796 वोटों से हराकर जीत अपने नाम की। बसपा ने इस सीट से योगेश दीक्षित को उतारा जो पार्टी अध्यक्ष मायावती के सुशासन का वादा कर मतदाताओं को लुभाने में लगे थे लेकिन चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे।
सरोजनी नगर सीट पर पहली बार कमल खिलाकार स्वाति ने भी दिखाया था दमखम
सरोजनीनगर सीट से बीजेपी की स्वाति सिंह ने सपा के अनुराग यादव को 34179 वोटों से हराकर एक इतिहास बनाया था। यह ऐसी सीट थी जहां पर इससे पहले बीजेपी कभी जीती नहीं थी। चुनाव से पहले माना जा रहा था कि इस सीट पर रोचक मुकाबला होने के आसार थे। भाजपा की प्रदेश महिला शाखा की अध्यक्ष स्वाति सिंह को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था। इस सीट पर सपा के लिए हालात मुश्किल दिख रहे थे क्योंकि उसके विधायक शारदा प्रसाद शुक्ला पार्टी की अनदेखी के बाद रालोद के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ रहे थे जबकि सपा ने मुख्यमंत्री एवं पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के रिश्ते के भाई अनुराग यादव को टिकट दिया था। बसपा से शिव शंकर सिंह उर्फ शंकरी मैदान में थे। स्वाति सिंह ने इस सीट से रिकॉर्ड वोटों से जीत दर्ज की थी।
सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रविदास मेहरोत्रा को हराकर ब्रजेश पाठक ने दिखाई थी ताकत
इस बार के विधानसभा चुनाव में लखनऊ मध्य सीट पर भी मजेदार मुकाबला हुआ था जिसमें बीजेपी के ब्रजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी के रविदास मेहरोत्रा को 5094 वोटों से हराया। इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने सपा के निवर्तमान विधायक एवं कैबिनेट मंत्री रविदास मेहरोत्रा को टिकट दिया था वहीं भाजपा ने लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजेश पाठक को टिकट दिया था जो बसपा छोडकर कुछ दिन पहले ही बीजेपी में शामिल हुए थे। ब्रजेश पाठक की तरह रविदास मेहरोत्रा भी लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे थे। बसपा ने यहां से राजीव श्रीवास्तव को मैदान में उतारा था। पहली बार विधायक बने ब्रजेश पाठक कैबिनेट मंत्री बने हैं।
बीजेपी के कद्दावार नेता लालजी टंडन के बेटे को भी मिली लालबत्ती
लखनऊ पूर्व से बीजेपी के आशुतोष टंडन ने कांग्रेस के अनुराग भदौरिया को 79230 वोटों से हराया। इस सीट पर से भाजपा नेता लालजी टंडन के बेटे आशुतोष टंडन पार्टी के उम्मीदवार थे। उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार अनुराग भदौरिया और बसपा उम्मीदवार सरोज शुक्ला से चुनौती मिल रही थी जिसमें यह सीट बीजेपी के खाते में गई। इसके पहले उपचुनाव में वह यहां से विधायक चुने गए थे।
पिछले बार साल 2012 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ की नौ विधानसभा सीटों में समाजवादी पार्टी ने सात सीटों पर जीत दर्ज करके सबको चौंका दिया था लेकिन इस बार यहां पर एक सीट को छोड़कर सभी सीटों पर सपा का सूपड़ा साफ हो गया है। लखनऊ मध्य, लखनऊ पूर्व, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ कैंट, मलिहाबाद, बक्शी का तालाब और सरोजनीनगर सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की वहीं मोहनलालगंज सीट पर सपा के खाते में गई। इस सीट पर बीजेपी ने बीएस-4 को अपना समर्थन दिया था। पूर्व मंत्री आरके चौधरी इस सीट से प्रत्याशी थे।