लखनऊ : आज पर्यावरण असंतुलन से सम्पूर्ण विश्व आपदाओं से घिरा हुआ है। पर्यावरण असन्तुलन का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि है, जिसमें विकिसित व विकासशील देशों में औद्योगीकरण की बेतहासा बढ़ोत्तरी तथा (प्रत्येक वर्ष) सभी प्रकार के वाहनों के उपयोग में कई गुना वृद्धि, जिससे कार्बन उत्सर्जन की मात्रा व अन्य नुकसानदायक गैसों की वायुमण्डल में निरन्तर वृद्धि होने से, वैश्विक-तापमान बढ़ता चला जा रहा है तथा पिछले 4-दशक में 2-3 डिग्री सेन्टीग्रेड की वृद्धि हो चुकी है। इन कारणों से जलवायु में परिवर्तन हो रहा है तथा विश्व में कब, कहाँ, क्या घटित हो जायेगा, इसका आकलन आज असम्भव हो रहा है। आपदाओं से कही पर अतिवृष्टि से जानमाल का नुकसान, कही अति ओलावृष्टि तथा कही सूखे की मार से जनजीवन को तहस नहस कर रखा है। प्रो0 (डा0) भरत राज सिंह, निदेशक व वरिष्ठ पर्यावरणविद, स्कूल ऑफ मैनेजमेण्ट साईसेन्ज जो विगत 15 वर्षों से पर्यावरण असन्तुलन पर समाज में लोगों में चेतना जगाने का कार्य कर रहे है। इनके द्वारा लिखित ग्लोबल-वार्मिंग व क्लाइमेट चेन्ज पर तीन (3)-पुस्तके भी क्रोसिया से प्रकाशित हो चुकी है। जिसके सुझावों को विश्व में अमेरिका व कनाडा, जर्मनी, फ्रान्स आदि में प्राथमिकता दी गयी है। संयुक्तराष्ट्र अमेरिका ने वर्ष 2014 में हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया है। लखनऊ व प्रदेश के जनपदों में स्कूल ऑफ मैनेजमेण्ट साइन्सेज ने अपने अध्यापकों के माध्यम से लगभग 80,000 छात्र/छात्राओं को पर्यावरण-सुरक्षा हेतु जन-जागरण की पहल पिछले दो-वर्षों में की है।
प्रो0 भरत राज सिंह ने लखनऊ शहर के आवासीय घरों पर ‘सौर्य-ऊर्जा’ के उपयोग से पर्यावरण बचाने की एक नयी पहल की है। उ0प्र0 प्रदेश सरकार व केन्द्र सरकार की ‘सौर्य ऊर्जा नीतियों’ के तहत गोमती नगर क्षेत्र में अपने ‘आवासीय घर’ पर 5 किलोवाट का ‘सौर्य ऊर्जा उत्पादन का प्लान्ट लगाया गया है। जिसे ‘नेट मीटरिंग’ के माध्यम से उ0प्र0 विद्युत संस्थान के द्वारा जुड़वाया है। उनका कहना है कि जहाँ उनके मकान का विद्युत बिल रू0 2000-3000 प्रतिमाह आता था, अब ‘सौर्य-ऊर्जा’ से विद्युत उत्पादित करने से किसी-किसी माह उनका जेनेरेशन, विद्युत उपयोग के सापेक्ष ज्यादा होता है। यह कनेक्शन जनवरी के प्रथम-माह में लगवाया गया और अभी तक प्रतिदिन औसतन 20-25 यूनिट सौर्य-ऊर्जा, विद्युत-पैदाकर ‘पावर कारपोरेशन’ के लाइन में इन्जेक्ट हो रही है। अप्रैल व मई, 2016 के प्रथम सप्ताह में इसका उत्पादन 30-32 यूनिट हो रहा है। डा0 सिंह का कहना है कि यद्यपि उ0प्र0 पावर कारपोरेशन द्वारा शहर का यह प्रथम नेट मीटरिंग’ लगाया गया है, परन्तु इनके द्वारा बिलिंग सिस्टम की व्यवस्था अभी तक सही नहीं की गयी है, जिससे इनके ‘विद्युत उत्पादन क्रेडिट’ को भी ‘देय बिल’ में शामिल कर लिया गया था और शिकायत दर्ज कराने पर ठीक किया गया, परन्तु फरवरी 2016 से ‘मीटर-रीडर’ को नेट मीटरिंग व्यवस्था की जानकारी न होने से रीडिंग नहीं लिया गया न ही बिल भेजी गयी। डा0 भरत राज सिंह का कहना है कि लखनऊ में उनकी पहल सर्वप्रथम ‘मकान की छत पर ‘सौर्य ऊर्जा’ उत्पादन का है। अतः वह सभी नगर वासियों से अपील करते है कि विश्व-पर्यावरण संकट को कम करने में, सभी लोग अपनी भागीदारी बढ़ाए और प्रदेश सरकार व भारत सरकार की नीतियों का पूर्ण लाभ उठाकर ‘सौर्य-ऊर्जा बिजली उत्पादन में लखनऊ को ‘सर्वश्रेष्ठ’ शहर बनाने में सहयोग प्रदान करे।