लद्दाख में LAC के करीब वायुसेना दिखा रही दम, भारत-चीन के बीच तनावपूर्ण माहौल
लद्दाख: पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पिछले एक साल से भारत-चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनावपूर्ण माहौल है. हालांकि, हालात पहले की तुलना में बेहतर हुए हैं, लेकिन पूरी तरह से विवाद खत्म नहीं हुआ है. चिनूक हेलिकॉप्टर से वायुसेना के गरुड़ कमांडो एक खास ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं, जबकि अपाचे हेलिकॉप्टर को दुश्मन पर धावा बोलने के लिए लगाया गया है. चीन सरहद के बेहद नजदीक इस एडवांस लैंडिंग ग्राउंड पर जबरदस्त हलचल दिखाई दे रही है और वायुसेना के अपाचे, चिनूक और एमआई 17 लड़ाकू हेलिकॉप्टर लगातार गश्त लगा रहे हैं. विमानों से सैनिकों और सामान को लद्दाख के अलग-अलग इलाकों में भेजा जा रहा है.
पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारतीय सेना के जवानों को हवाई सहायता प्रदान करने के लिए अपाचे, चिनूक और एमआई 17 हेलिकॉप्टरों को उन क्षेत्रों के करीब के इलाके में तैनात किया गया है, जहां जमीनी सैनिकों द्वारा कार्रवाई की जा रही है. एमआई-17वी5 मीडियम-लिफ्ट हेलिकॉप्टर भी सैनिकों और सामग्री परिवहन के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. चिनूक एक मल्टीमिशन श्रेणी का हेलिकॉप्टर है. इसी हेलिकॉप्टर में बैठकर अमेरिकी कमांडो ओसामा बिन लादेन को मारने गए थे. वियतनाम से लेकर इराक के युद्धों तक शामिल चिनूक दो रोटर वाला हैवीलिफ्ट हेलिकॉप्टर है. पहले चिनूक ने 1962 में उड़ान भरी थी. भारत जिस चिनूक को खरीद रहा है, उसका नाम है सीएच-47 एफ. यह 9.6 टन का वजन उठाता है, इसमें भारी मशीनरी, तोपें और बख्तरबंद गाड़ियां शामिल हैं. इसकी दूसरी खासियत है इसकी तेज गति.
वहीं, 16 फुट ऊंचे और 18 फुट चौड़े अपाचे हेलिकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलट होना जरूरी है. अपाचे हेलिकॉप्टर के बड़े विंग को चलाने के लिए दो इंजन होते हैं. इस वजह से इसकी रफ़्तार बहुत ज्यादा है. अधिकतम रफ्तार है 280 किलोमीटर प्रति घंटा. अपाचे हेलिकॉप्टर का डिजाइन ऐसा है कि इसे रडार पर पकड़ना मुश्किल होता है. हथियार की बात करें तो 16 एंटी टैंक मिसाइल छोड़ने की क्षमता वाले हेलिकॉप्टर के नीचे लगी राइफल में एक बार में 30एमएम की 1,200 गोलियां भरी जा सकती हैं. फ्लाइंग रेंज करीब 550 किलोमीटर है. यह एक बार में तीन घंटे तक उड़ सकता है.
चिनूक हेलिकॉप्टर चीन से लगने वाली सरहद पर सैनिकों को फॉरवर्ड पोस्ट तक पहुंचाने और उनके लिए राशन के साथ ही हथियार पहुंचाने के मिशन को बखूबी निभा रहे हैं. जबकि अपाचे हेलिकॉप्टर को माउंटेन वॉरफेयर के लिए बेहतरीन माना जाता है. इस एडवांस लैंडिंग ग्राउंड पर सी-130जे सुपर हरक्युलीज स्पेशल ऑपरेशन विमान भी उड़ान भर रहा है. आने वाले दिनों में न्योमा के इस एडवांस लैंडिंग ग्राउंड से राफेल और सुखोई जैसे लड़ाकू विमान भी उड़ान भरते नज़र आएंगे. इसके अलावा, लगभग 14000 फीट की ऊंचाई पर चीन की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए मोबाइल एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम तैनात किया गया है.
मौजूदा हालात में अभी जिस तरह की चुनौतियां सामने हैं उससे निपटने के लिए एयर वॉरियर्स और विमान पूरी तरह से तैयार हैं. आने वाले दिनों में न्योमा के इस एडवांस लैंडिंग ग्राउंड से राफ़ेल और सुखोई जैसे लड़ाकू विमान भी उड़ान भरते नज़र आएंगे. भले ही लद्दाख सरहद पर दोनों सेनाएं अपनी अपनी पोजिशन पर आ रही हों, लेकिन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीनी सेना के खिलाफ़ रक्षा कवच को कम नहीं किया जा सकता है. भारतीय वायुसेना किसी स्तर पर अपनी तैनाती को कम नहीं करना चाहती है.