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लॉ छात्रा दुष्कर्म मामले में 11 दोषियों को उम्रकैद

रांची : झारखंड के चर्चित लॉ छात्रा दुष्कर्म कांड में अदालत ने दोषियों को जिंदगी भर जेल में रहने की सजा दी है। सामू‍हिक दुष्कर्म के इस मामले में सभी 11 दोषियों को सोमवार को सजा सुनाते हुए न्यायायुक्त नवनीत कुमार की अदालत ने इस सामूहिक दुष्कर्म कांड को जघन्य अपराध माना है। दोषियों को आजीवन कारावास के साथ ही अदालत ने अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा दी है। सोमवार को सुनवाई के क्रम में कोर्ट में झारखंड पुलिस के डीजीपी केएन चौबे भी मौजूद रहे। दोषियों की पेशी बिरसा मुंडा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई। अदालत ने इस मामले में स्‍पीडी ट्रायल के दम पर महज 90 दिनों के रेकॉर्ड टाइम में दोषियों को सजा सुनाते हुए पीड़ि‍ता को इंसाफ दिया। लॉ छात्रा से सामूहिक दुष्‍कर्म मामले में रांची की अदालत ने सजा का एलान कर दिया है। कांके दुष्कर्म मामले में अदालत ने सभी 11 दोषियों को अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि घटना जघन्य अपराध है। सजा के बिंदु पर सुनवाई के क्रम में न्याययुक्त नवनीत कुमार की अदालत में कठोरतम फैसला सुनाया गया है। कोर्ट ने इस बहुचर्चित वीभत्स मामले में 11 अभियुक्तों को दोषी ठहराया है। आज इन सभी को कोर्ट ने ताउम्र जेल में रहने की कड़ी सजा सुनाई है। इस मामले में 12वां आरोपी नाबालिग है, जिस पर जुवेनाइल कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में 11 अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए 2 मार्च को सजा का ऐलान करने की तारीख मुकर्रर की थी। सोमवार को सजा का ऐलान किए जाने के दौरान सभी अभियुक्त बिरसा मुंडा जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अदालत में पेश किए गए थे।
गौरतलब है कि बीते 26 नवम्बर 2019 को कांके के संग्रामपुर में लॉ छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था। दूसरे दिन छात्रा की शिकायत पर कांके थाना में 12 आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर 29 फरवरी को जेल भेज दिया था। इस मामले में पीड़ि़ता के साथ अमानवीयता की हदें पार करते हुए तीन-चार अभियुक्तों ने एक नहीं दो-दो बार दुष्कर्म किया, जबकि 12 दरिंदे करीब दो घंटे तक उसे जानवरों की तरह नोचते-खसोटते रहे। अब छात्रा को दु‍ष्कर्मियों की सजा का एलान होने के बाद न्याय मिलेगा। रांची पुलिस ने इस केस में स्पीडी ट्रायल कराते हुए महज 90 दिनों में छात्रा को इंसाफ दिलाने की कोशिश की है। हाई कोर्ट के निर्देश पर केस की डे-टू-डे सुनवाई हुई। 24 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल कर दी गई। यही नहीं हाई कोर्ट खुद मामले की मॉनीटरिंग कर रहा था। इसी का परिणाम है कि महज 92 दिन में पीडि़ता को न्याय मिलेगा।

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