जीत के रथ पर सवार भारतीय महिला टीम को सेमीफाइनल में इंग्लैंड के हाथों करारी हार झेलनी पड़ी। पूरे टूर्नामेंट में भारतीय महिलाओं ने शानदार खेल दिखाया, लेकिन फाइनल से महज एक पड़ाव पहले भारत की यह करारी हार फैंस पचा नहीं पा रहे।
कप्तान हरमनप्रीत कौर के एक अटपटे फैसले से फैंस निराश हैं। माना जा रहा है कि यही हार की वजह भी बनी। दरअसल, इंग्लैंड के खिलाफ इस सेमीफाइनल मैच में अनुभवी बल्लेबाज मिताली राज को टीम से बाहर कर दिया गया।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ग्रुप मैच के बाद उन्हें एक बार फिर प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया। मुकाबले से पहले कप्तान हरमनप्रीत ने मिताली के सेमीफाइनल में नहीं खेलने पर कहा कि उनकी टीम एक बार फिर जीत के लिए मैदान पर उतरेगी।
मिताली राज ने ग्रुप दौर के दो मैचों में लगातार दो अर्धशतक जड़े थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच से पहले वो चोटिल हो गई थीं। उन्हें लगातार दो मुकाबलों में ‘मैन ऑफ द मैच’ भी चुना गया था, लेकिन सेमीफाइनल जैसे अहम मुकाबले में सबसे अनुभवी खिलाड़ी को टीम से बाहर रखना हरमनप्रीत के लिए अपने कप्तानी करियर की सबसे बड़ी भूल साबित हो गई।
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम 19.3 ओवर में 112 पर ढेर हो गई। स्पिन गेंदबाजी के लिए माकूल विकेट पर टीम इंडिया की कप्तान का लिया एक फैसला टीम इंडिया के लिए भारी पड़ गया। इंग्लैंड ने जीत के लिए जरूरी लक्ष्य को 17.1 ओवर में 8 विकेट रहते हासिल कर लिया।
इसी पिच पर वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में पिच ने जैसा रवैया दिखाया वो भारतीय बल्लेबाजों के अनुकूल था। उसे देखते हुए एक अतिरिक्त गेंदबाज को खिलाने के लिए हरमन ने मिताली को अंतिम एकादश में जगह नहीं दी।
ऐसे में जब शुरुआत से ही पिच पर गेंद हलचल करने लगी तो भारतीय युवा बल्लेबाजों में अनुभव की कमी नजर आने लगी। खुलकर रन बनाना तो दूर बल्लेबाजों के लिए पिच पर टिकना भी मुश्किल हो गया था।
शुरुआती चार बल्लेबाजों को छोड़कर अन्य दो अंकों के स्कोर तक भी नहीं पहुंच पाए। तानिया भाटिया (13), स्मृति मंधाना(34), जेमिमा रोड्रिगेज (26) और हरमनप्रीत कौर (16) ही दो अंकों तक पहुंच पाईं। एक समय टीम इंडिया का स्कोर 13.4 ओवर में 2 विकेट पर 89 रन था लेकिन इसके बाद 28 गेंदों के अंतराल में भारतीय टीम ने 8 विकेट गंवा दिए और केवल 23 रन बना सकी।