वाणिज्य फॉर्म 38 में सेंध, 20 करोड़ के टैक्स की ठगी
प्रदेश के बाहर से लाए जाने वाले माल पर वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) लगाने और कारोबारियों को सहूलियत देने वाली फॉर्म 38 में सेंध लगाकर कई कारोबारियों और वाणिज्य कर विभाग से करीब 20 करोड़ रुपये की ठगी की गई।
इसमें विभाग के तीन संविदा कर्मियों सहित छह लोग शामिल हैं, सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के अनुसार कॉमर्शियल टैक्स विभाग की वेबसाइट पर मौजूदा कारोबारियों के यूजर आईडी और पासवर्ड वहीं के कर्मचारियों ने चोरी किए।
उन्होंने इसमें दर्ज ईमेल एड्रेस बदलकर नया ईमेल जोड़ दिया। इस तरह कारोबारियों के आईडी से फॉर्म 38 डाउनलोड करके अपने साथी उन कारोबारियों को बेचते, जिन्हें दूसरे प्रदेश से माल मंगाना होता।
जिन कारोबारियों के यूजर आईडी और पासवर्ड चुराए गए, उनके नाम पर टैक्स बना तो वहीं खुद विभाग को भी भारी नुकसान हुआ। शुरुआती आकलन है कि कुल 20 करोड़ रुपये की ठगी की गई है।
अल्फा टाइल्स और चंद्रकांता टाइल्स नामक लखनऊ की दो फर्मों को वाणिज्य कर विभाग को वैट के लिए 28 और 30 लाख रुपये वैट का नोटिस भेजा। नोटिस पाते ही उनके होश उड़ गए कि जो माल मंगाया ही नहीं उसका टैक्स कैसे।
चंद्रकांता टाइल्स ने पुलिस से संपर्क किया। 10 अप्रैल को धोखाधड़ी और आईटी एक्ट में मुकदमा हुआ। साइबर सेल ने जांच की तो पाया कि वाणिज्य कर विभाग की वेबसाइट से दोनों फर्मों की आईडी और पासवर्ड चुराए गए थे।
इस काम में प्रभात शंकर शुक्ला, सुनील कुमार और अमन वर्मा ने बाकी ठगों प्रदीप सिंह चौहान, अभय ग्रोवर और गुरप्रीत सिंह की मदद की। प्रभात, सुनील और अमन वाणिज्य कर विभाग में संविदाकर्मी हैं।
प्रभात ने बताया कि वह वाणिज्य कर विभाग में डिप्टी कमिश्नर अजय श्रीवास्तव के पास डेढ़ साल से काम करता है। श्रीवास्तव उसे अक्सर व्यापारियों के यूजर्स आईडी व पासवर्ड दिया करते थे।
वह इन आईडी व पासवर्ड को पेपर पर लिखकर दूसरे कंप्यूटर ऑपरेटरों सुनील और अमन वर्मा के जरिये दलालों तक पहुंचाता था।
इससे बचने के लिए कारोबारियों को पासवर्ड बदलते रहना चाहिए। रजिस्टर्ड ईमेल पर विभाग की ओर से आने वाले ईमेल देखते रहें, अगर यह ईमेल आने बंद हो जाएं तो इसके लिए विभाग से सपंर्क करना चाहिए। वाणिज्य कर विभाग को भी सतर्कता बरतनी चाहिए।
चंद्रकांता टाइल्स ने पुलिस से संपर्क किया। 10 अप्रैल को धोखाधड़ी और आईटी एक्ट में मुकदमा हुआ। साइबर सेल ने जांच की तो पाया कि वाणिज्य कर विभाग की वेबसाइट से दोनों फर्मों की आईडी और पासवर्ड चुराए गए थे।
इस काम में प्रभात शंकर शुक्ला, सुनील कुमार और अमन वर्मा ने बाकी ठगों प्रदीप सिंह चौहान, अभय ग्रोवर और गुरप्रीत सिंह की मदद की। प्रभात, सुनील और अमन वाणिज्य कर विभाग में संविदाकर्मी हैं।
प्रभात ने बताया कि वह वाणिज्य कर विभाग में डिप्टी कमिश्नर अजय श्रीवास्तव के पास डेढ़ साल से काम करता है। श्रीवास्तव उसे अक्सर व्यापारियों के यूजर्स आईडी व पासवर्ड दिया करते थे।
वह इन आईडी व पासवर्ड को पेपर पर लिखकर दूसरे कंप्यूटर ऑपरेटरों सुनील और अमन वर्मा के जरिये दलालों तक पहुंचाता था।
इससे बचने के लिए कारोबारियों को पासवर्ड बदलते रहना चाहिए। रजिस्टर्ड ईमेल पर विभाग की ओर से आने वाले ईमेल देखते रहें, अगर यह ईमेल आने बंद हो जाएं तो इसके लिए विभाग से सपंर्क करना चाहिए। वाणिज्य कर विभाग को भी सतर्कता बरतनी चाहिए।