नई दिल्ली: अगर इंडियन एयरफोर्स की चली तो जल्द ही देश के चुनिंदा हाइवेज़ पर इंडियन एयरफोर्स के लड़ाकू विमान उतारे जा सकेंगे।
इसी साल मई में नोएडा-आगरा एक्सप्रेसवे पर एयरफोर्स का मिराज-2000 सफलतापूर्वक उतारा गया था। इससे प्रोत्साहित होकर एयर फोर्स ने मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट ऐंड हाइवेज़ को चिट्ठी लिखी है। एयरफोर्स ने कहा है कि उन्हें शांतिपूर्ण माहौल के दौरान ‘कभी कभार’ विमानों को इस तरह उतारने की अनुमति दी जाए ताकि इस बाबत प्रैक्टिस भी हो सके।
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) शंकर प्रसाद ने कहा- सभी विकसित देश जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन और रूस जैसे देश भी शामिल हैं, के पास ऐसे हाइवे हैं जहां वे विमानों को उतार सकते हैं। हम अपने हाइवेज़ को विस्तृत तो कर ही रहे हैं, ऐसे में हम विमानों के लैंडिग जोन भी वहां बना सकते हैं।
एयरफोर्स चाहती है जल्द से जल्द शुरू हो इस बाबत प्रक्रिया…
एयरफोर्स का कहना है कि इस पूरी प्रक्रिया में और फुर्ती लाने की जरूरत है क्योंकि गुजरात और राजस्थान में एक भी ऐसा हाई वे नहीं है जिसे विमान उतारने के काम में लिया जा सके। ये दोनों राज्य पाकिस्तान की सीमा से टच होते हैं जो अपनी दो सड़कों को अपने लड़ाकू विमान उतारने के लिए परीक्षण पहले ही कर चुका है।
… तो 3 से 4 किमी की जरूरत होगी..
एयरफोर्स ने वैसे ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री से कहा है कि वह एसओपी यानी कि स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर स्थापित करने में राज्यों की मदद करे ताकि जल्द से जल्द हाइवेज़ को रनवे की तरह इस्तेमाल करने का विकल्प तैयार किया जा सके। इससे जब भी जरूरत पड़ेगी, इन्हें इस्तेमाल किया जा सकेगा। आदर्श स्थिति की बात करें तो हाइवेज पर 3 से 4 किलोमीटर लंबी दूरी की जरूरत होगी यदि मिलिट्री रनवे ब्लॉक होने पर इन्हें रनवे की तरह इस्तेमाल करना पड़ा तो।
भारत में 96 हजार किमी से ज्यादा लंबी दूरी के राष्ट्रीय राजमार्ग हैं जिन्हें लगातार बढ़ाने का काम जारी है ताकि सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक को काबू में किया जा सके। एयरफोर्स सुनिश्चित हो लेना चाहता है कि देशभर में फैले इन राजमार्गों पर विमानों को उतारना जल्द से जल्द संभव हो सके।