नई दिल्ली : संसद के सेंट्रल हाल में राष्ट्रीय जन प्रतिनिध सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वांगीण विकास पर जोर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पीएम ने कहा कि जो अच्छा काम करते हैं वह लगातार अच्छा करते चले जाते हैं, लेकिन जो पिछड़ गए हैं वह और पिछड़ने की दशा में आ जाते हैं, हमें और बारीकी में जाने का प्रयास करना चाहिए। राज्यों में फेडरलिज्म का माहौल बना है। राज्य और संसद के प्रतिनिधि बैठकर साथ चर्चा करते हैं. प्रतिस्पर्धा का माहौल बना है, लेकिन देश जो अपेक्षा करता है, उसे पूरा करना है तो पुराने पैरामीटर से चलने पर परिणाम नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि स्वच्छता की रैंकिंग शुरू हुई तो एक स्पर्धा पैदा हुई, एक नगर पीछे रह गया तो गांव के लोग ही आवाज उठाने लगे, आंदोलन खड़ा हुआ, देश क्यों आगे नहीं बढ़ रहा है? तो क्यों न हम देश में उन जिलों के लिए कुछ मापदंड तय करें? जिसका पब्लिकेशन हो चुका है उसे ही मानें और 48 पैरामीटर बनाएं. इसमें पीछे के जिले हैं, अनुभव ये आया कि जो 10 पैरामीटर में पीछे हैं तो वो सब में पीछे हैं।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान देश के 115 जिलों के विकास पर जोर दिया।मोदी ने कहा कि उपलब्ध संसाधन से एक जिला आगे गया है तो दूसरा क्यों नहीं, इसमें लीडरशिप और गवर्नेंस का मसला है। उन्होंने कहा कि सांसद और विधायक सभी कलेक्टर और अधिकारियों के साथ बैठें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवा अधिकारियों की नियुक्तियों पर भी जोर दिया उन्होंने कहा कि मैं किसी की आलोचना करने के लिए नहीं कह रहा हूं।
आम तौर पर जिले के कलेक्टर जो होते हैं उनकी उम्र 30 साल होती है। इन 115 जिलों में 80 प्रतिशत से ज्यादा जो डीएम थे वो 40 की उम्र से ज्यादा थे, कोई 45 के भी थे। अब बताइए जो 45 का है उसके पास कई सारे निजी काम हैं। ज्यादातर स्टेट प्रमोटिव ऑफिसर हैं, उन्हें ही भेजा गया। वहीं से सोच बैठ गई है कि बैकवर्ड जिला है, इसे ही भेज दो। समस्या का समाधान बताते हुए मोदी ने आह्वान किया, ‘हमें सोचना चाहिए कि अगले 5 साल में सिर्फ नए तेज डीएम को लगाइए, देखिए क्या अंतर आता है। मैं कई मख्यमंत्रियों के संपर्क में हूं। उन्होंने कहा कि बराबरी के लिए सभी जिलों का विकास जरूरी है। पिछड़े जिलों का विकास हम सबका दायित्व है, जहां अफसरों और स्थानीय लीडरशिप ने मिशन मोड पर काम किया है और लोगों को जोड़ा है, वहां बेहतर काम हुआ है। देश के जनप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए सर्वांगीण विकास पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि इस वक्त विकास के लिए संसाधन की नहीं मोटिवेशन की जरूरत है। प्रत्येक राज्य में ऐसे कुछ जिले होते हैं जो विकास में काफी आगे होते हैं। उनसे सीख लेते हुए हमें पिछड़े जिलों पर काम करना होगा।
शनिवार को संसद के सेंट्रल हाल में उन्होंने कहा कि जनभागीदारी बहुत जरूरी है। जहां भी लोगों ने प्रशासन के साथ मिलकर किसी मुहिम का साथ दिया है वहां बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। बराबरी के लिए सभी जिलों का विकास जरूरी है। हमें साथ मिलकर पिछड़े जिलों का विकास करना होगा। ज्यादा उम्र के जिलाधिकारी विकास में बाधक हैं। पिछड़े जिलों में ऐसे अधिकारियों को भेजा जाएगा जिनमें काम करने की ललक हो। लोगों को मिशन मोड में जोड़ने की जरूरत है। इसके लिए मैं मुख्यमंत्रियों से भी बात कर रहा हूं। हमारे पर मैनपॉवर है, संसाधन हैं, माद्दा है। सामाजिक न्याय के लिए हमें साथ मिलकर काम करना होगा। नरेंद्र मोदी ने सामाजिक न्याय, भारतीय संविधान, स्वच्छ भारत अभियान समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। इस दौरान मोदी ने कहा कि हमारे संविधान की विशेषता अधिकारों और कार्यों के बंटवारे के कारण नहीं है। देश में सदियों से बुराइयां घर कर गई थीं। मंथन से जो अमृत निकला उसे हमारे संविधान के अंदर जगह मिली, वो बात थी सामाजिक न्याय की। कभी-कभी ऐसा भी लगता है कि सामाजिक न्याय का एक और भी दायरा है, कोई मुझे बताए, एक घर में बिजली है, बगल के घर में बिजली नहीं है, क्या सामाजिक न्याय की ये जिम्मेदारी नहीं बनती है कि दूसरे घर में भी बिजली होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि एक जिला आगे है, दूसरा पीछे है, क्या सामाजिक न्याय की बात करने में ये बाध्यता नहीं है कि वो जिले भी बराबरी में आए, इसलिए सामाजिक न्याय का सिद्धांत हम सबको दायित्व के लिए प्रेरित करता है, हो सकता है देश जहां सबकी अपेक्षा होगी वहां, नहीं पहुंचा होगा, लेकिन राज्य में 5 जिले आगे पहुंचे हैं, तीन पीछे रह गए हैं, उन तीन को भी बराबरी पर लाया जा सकता है।