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वैज्ञानिकों ने तैयार किया दुनिया का नया नक्शा, पुराने नक्शों में हैं खामियां


नई दिल्ली : दुनिया का जो नक्शा आप देखते और पढ़ते आए हैं, वह गलत है। दरअसल अब तक प्रचलन में दुनिया के जितने भी मानचित्र हैं, उनमें कुछ न कुछ खामियां हैं। किसी में महाद्वीपों के आकार को विकृत कर दिया गया है तो किसी में उसके क्षेत्रफल से छेड़छाड़ की गई है। इस खामी को दूर करते हुए वैज्ञानिकों ने पृथ्वी का नया नक्शा तैयार किया है। इसे ईक्वल अर्थ नाम दिया गया है। वैज्ञानिक इसे अब तक का सबसे सटीक मानचित्र मान रहे हैं। कैलीफोर्निया के एनवायरमेंटल सिस्टम्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के बोजन सावरिक, मिलवॉकी स्थित नॉर्थ अमेरिकन कार्टोग्राफिक इंफोर्मेशन सोसायटी के टॉम पैटर्नसन और मेलबर्न की मोनाश यूनिवर्सिटी के बर्नहार्ड जेनी ने मिलकर इस नक्शे को तैयार किया है।

तीनों ने नया नक्शा इसलिए बनाया क्योंकि 2017 में अमेरिका के मैसाच्युसेट्स में बोस्टन पब्लिक स्कूल गॉल-पीटर नक्शे को महाद्वीपों के सटीक आकार वाले मानक नक्शे के तौर पर स्वीकार करने जा रहा था। इसे जेम्स गॉल ने 1855 में बनाया था। आर्नो पीटर्स 1970 में इसे अधिक लोगों के सामने लाए। इसे ईक्वल एरिया प्रोजेक्शन मैप माना जाता है। लेकिन इसमें महाद्वीपों का सटीक क्षेत्रफल दिखाने के लिए उनके आकार को तोड़ा-मरोड़ा गया है। तकरीबन पांच शताब्दियों से यह नक्शा बड़े स्तर पर इस्तेमाल होता आ रहा है। हालांकि यह भूमध्य रेखा से दूर के क्षेत्रों को उनके वास्तविक आकार से बड़ा दिखाता है। इसे 1569 में जेरार्डस मर्केटर ने बनाया था। इसे समुद्री यात्राओं में रास्ता देखने के लिए बनाया गया था। लेकिन इसमें महाद्वीपों का क्षेत्रफल गलत दिखाया गया है। उदाहरण के तौर पर स्कैंडिनेवियाई देशों को भारत से बड़ा दिखाया गया है जबकि भारत सभी स्कैंडिनेवियाई देशों के कुल क्षेत्रफल से तीन गुना बड़ा है। नक्शे में ग्रीनलैंड अफ्रीका से बड़ा दिखाई देता है, जबकि असल में अफ्रीका का क्षेत्रफल ग्रीनलैंड से 14 गुना अधिक है। ब्राजील अलास्का से पांच गुना बड़ा है लेकिन नक्शे में अलास्का ब्राजील से बड़ा दिखता है। 1963 में आर्थर रॉबिनसन ने नया नक्शा बनाया जिसमें महाद्वीपों के क्षेत्रफल में कम बदलाव किया गया, लेकिन उनका आकार काफी बिगाड़ दिया गया है। इसमें रॉबिनसन ने देशांतर को घुमावदार दिखाया जिससे यह ग्लोब से मिलता जुलता दिख सके। यह नक्शा कम विकृत होने के चलते अधिक लोकप्रिय हुआ। हालांकि सीधी देशांतर और अक्षांश रेखाओं की वजह से आज भी कई लोग मर्केटर नक्शे का प्रयोग करते हैं।

नए नक्शे के देशांतर के बीच बराबर दूरी है और यह बाहर की तरफ बहुत ज्यादा घुमावदार भी नहीं है। यह बहुत हद तक ग्लोब की बनावट जैसा है। इससे यह सुंदर दिखता है। इसका ऊंचाई से चौड़ाई का अनुपात पृथ्वी के प्राकृतिक अनुपात के काफी करीब है। पृथ्वी के आकार को 2डी यानी दो आयामों में प्रस्तुत किए जाने को मैप प्रोजेक्शन कहा जाता है। तकरीबन सभी प्रोजेक्शन सतह के हिस्से को थोड़ा बहुत बिगाड़ के प्रस्तुत करते हैं क्योंकि पृथ्वी के तीन आयामों को दो आयामों में दिखाना लगभग नामुमकिन है।

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