शंकराचार्य जयंती : बाल्यावस्था में पा लिया था महाज्ञान, युवावस्था में दुनिया को कहा अलविदा
जगत गुरु कहलाने वाले शंकराचार्य की आज जयंती है. हिन्दू धर्म में वैशाख का महीना बहुत महत्व रखता है. इस महीने में कई सारे धर्म गुरु और महान संतो की जयंती मनाई जाती है. हिन्दू धर्म के ही ध्वजा देश के चारों और फ़ैलाने वाले और भगवान शिव के अवतार के नाम से पहचाने जाने वाले आदि शंकराचार्य ने 20 अप्रैल को जन्म लिया था. आज से लगभग 1200 वर्ष पहले कोचीन से 5-6 मील दूर कालटी नामक ग्राम में शंकराचार्य ने जन्म लिया था.
शंकरायचार्य को सात वर्ष की उम्र में ही वेदों के बारे में पूरा ज्ञान हो गया था. जब तक वे 12 वर्ष के हुए तब तक उन्होंने शास्त्रों के बारे में भी पूरा ज्ञान ले लिया था. शंकराचार्य ने 16 वर्ष तक 100 से भी अधिक ग्रंथो रचना कर दी थी. इसके बाद शंकराचार्य ने अपनी माता की आज्ञा लेकर वैराग्य धारण कर दिया था.
शंकराचार्य जब मात्र 32 वर्ष के थे तब केदारनाथ में उनकी मृत्यु हो गई थी. शंकराचार्य ने देशभर के चारों कोनो में हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए मठों की स्थापना की. इन मठों को शंकराचार्य पीठ के नाम से भी जाना जाता है. ये चार मठ हैं- ज्योतिर्मठ, शारदा मठ, श्रृंगेरी मठ, गोवर्धन मठ.