राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने रविवार को कहा कि विशेषज्ञों के मुताबिक आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिये संविधान में संशोधन उसके मूल सिद्धांतों के लिये “हानिकारक” है। उनका यह बयान ऐसे वक्त आया है जब संसद ने हाल ही में सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिये 10 फीसदी आरक्षण वाले विधेयक को अपनी मंजूरी दी है।
उन्होंने कहा कि चुनावों को ध्यान में रखकर नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा आखिरी वक्त में लिया गया फैसला मतदाताओं का मन बदलने में मददगार साबित नहीं होगा। पवार ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आधारित राजनीतिक फिल्म ‘द ऐक्सीडेंटल प्राइममिनिस्टर’ और शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के जीवन पर आधारित ‘ठाकरे’ का मतदाताओं पर कोई प्रभाव नहीं होगा।
पत्रकारों के सवाल के जवाब में पवार ने कहा, “विशेषज्ञों की राय में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने के लिये संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन संविधान के मूल सिद्धांतों के लिये हानिकारक होगा।” उन्होंने कहा कि आरक्षण की नीति पर उच्चतम न्यायालय ने दो से ज्यादा बार अपना रुख स्पष्ट किया है। न्यायालय का फैसला कहता है कि आरक्षण 50 फीसदी की उपरी सीमा से ज्यादा नहीं हो सकता।