देहरादून । शहर में आमजन कूड़ा उठान की समस्या को लेकर परेशान है और नगर निगम वीवीआइपी की सेवा में व्यस्त है। सेवा भी ऐसी कि जिसमें झूठ का पर्दा डाला जा रहा। मसूरी में 28 जुलाई को होने जा रही हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन के मद्देनजर नगर निगम इन दिनों सहस्रधारा रोड को चमकाने का काम कर रहा।
पिछले एक हफ्ते से इस मार्ग से न केवल अतिक्रमण, अवैध होर्डिंग आदि हटाए गए बल्कि सड़क किनारे कूड़ा व घास भी साफ कराए जा रहे। मगर जहां ज्यादा कूड़ा और अतिक्रमण है, वहां निगम अधिकारी पर्दे का सहारा ले रहे। नालापानी चौक पर सड़क के दोनों तरफ हरे पर्दे लगा गंदगी व अतिक्रमण को छुपा दिया गया है, ताकि वीवीआइपी की नजरें सिर्फ स्वच्छ दून का नजारा ही देखें।
वीवीआइपी के प्रस्तावित आगमन के लिए नगर निगम ने शहर को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। हालात ये हैं कि महापौर के घर यानी उनके इलाके में ही पिछले छह दिन से डोर-टू-डोर कूड़े का उठान नहीं हो रहा है। यही हालात बाकी वार्डों की भी है।
शहर में डोर-टू-डोर कूड़ा उठान चेन्नई एमएसडब्लू कंपनी की जिम्मेदारी है, लेकिन यह कंपनी पांच माह में ही विफल साबित हो रही। ना तो कंपनी समय पर कूड़ा उठान कर पा रही, न ही इसकी गाड़ियां वार्डों में जा रहीं। यही नहीं कंपनी के कर्मियों पर अवैध वसूली के आरोप भी लग चुके हैं। इन सब हरकतों के बावजूद नगर निगम कंपनी पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा।
बरसात और डेंगू के प्रकोप के बावजूद कूड़ा उठान न होने से शहर के दर्द को किनारे कर नगर निगम वीवीआइपी को स्वच्छ दून का झूठा दृश्य दिखाने के लिए हाथ-पांव मार रहा। इसे विडंबना ही कहेंगे कि झूठी बुनियाद पर वीवीआइपी को खुश करने की तैयारियां चल रहीं। चूंकि, तमाम वीवीआइपी हवाई अड्डे से थानो मार्ग-सहस्रधारा रोड होकर मसूरी जाएंगे, लिहाजा नगर निगम व अन्य सभी विभाग केवल इसी मार्ग को चमकाने का काम कर रहे।
सहस्रधारा रोड पर नगर निगम ने सड़क को चकाचक तो कर दिया। इसी सड़क पर खामियों एवं गंदगी के ढेरों को छुपाने के लिए जगह-जगह पर्दे डाल दिए। नालापानी क्रासिंग से सहस्रधारा की ओर बढऩे पर सड़क किनारे खाली पड़ी जमीन पर न केवल कूड़ा व गंदगी जमा है, बल्कि झाड़-झंकाड़ भी उगे हुए हैं।
ऐसे में नगर निगम ने सफाई कराने के बजाए दूसरा ही नायाब तरीका निकाल डाला। सड़क पर रहने वाले बागडिय़ों को उजाड़कर निगम ने करीब सौ मीटर के क्षेत्र को हरे रंग के पर्दे लगाकर ढक दिया है, ताकि वीवीआइपी को गंदगी न दिखे। यही हाल सहस्रधारा रोड के समीप की कॉलोनियों का भी है। निगम की ओर से मार्ग तो चकाचक कर दिया गया है पर मयूर विहार, अमन विहार, एकता विहार समेत राजेश्वरनगर आदि में जगह-जगह पर गंदगी बिखरी पड़ी है।
अमन विहार निवासी अरविंदर सिंह ने बताया कि उनके मोहल्ले में कूड़ा उठान के वाहन कभी कभार दिखते हैं। सड़क पर भी गंदगी बिखरी रहती है व शिकायतों के बाद भी नगर निगम कार्रवाई नहीं करता। बाकी क्षेत्रवासी भी नगर निगम में शिकायतें कर परेशान हो चुके हैं लेकिन उपकी तरफ कभी ध्यान नहीं दिया गया।
रिस्पना की गंदगी से बेखबर
एक तरफ निगम अधिकारी सहस्रधारा रोड को चमकाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे तो महज सौ मीटर की दूरी पर बह रही रिस्पना नदी की गंदगी पर शायद उनकी निगाहें नहीं पड़ रही। नदी में कई टन कूड़ा व गंदगी का अंबार लगा हुआ है।
ये वही रिस्पना नदी है जिसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा ड्रीम प्रोजेक्ट मानते हुए ऋषिपर्णा का नाम दिया गया और इसकी सूरत संवारने के लिए वह कई दफा खुद नदी में उतरकर सफाई कार्य भी कर चुके हैं। इसे सारबमती नदी की तर्ज पर संवारने का दावा किया जा रहा, लेकिन वर्तमान में इसके दयनीय हालात पर शायद कोई ध्यान देने वाला नहीं।
कंपनी के अफसर तलब, चेतावनी
डोर-टू-डोर कूड़ा उठान की शिकायत पर नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. कैलाश जोशी को तलब कर जवाब मांगा। डा. जोशी ने स्वीकार किया कि कंपनी की लगातार शिकायतें आ रहीं। स्थिति यह कि डा. जोशी के इलाके में भी कूड़ा उठान की गाडिय़ां नहीं जा रहीं।
उन्होंने बताया कि वे कंपनी को कई बार नोटिस दे चुके हैं मगर कंपनी सुधर नहीं रही। नगर आयुक्त ने इस पर कंपनी के प्रोजेक्ट हेड मोहित द्विवेदी को तलब कर जवाब मांगा। चेतावनी भी दी कि अगर यही हालात रहे तो निगम कंपनी को हटाकर दूसरी कंपनी का चयन कर सकता है। नगर आयुक्त ने कंपनी पर जुर्माना लगाने की बात भी कही।