शिवरात्रि में भोलेबाबा को भागं तो चढ़ाते हैं पर क्या जानते हैं कि शिवजी भांग क्यों पीते हैं?
फाल्गुन माह शुरू होते ही शिव भक्तों को शिवरात्रि का इंतजार रहता है … क्योंकि ये दिन देवों के देवों महादेव को समर्पित है। असल में इसके पीछे दो पौराणिक मान्यताएं है.. पहली मान्यता के अनुसार सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था। वहीं दसूरी ओर कुछ लोगों का मानना है की इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।ऐसे में सभी शिव भक्त और श्रद्धालु इस दिन शिव जी की पूजा-अराधना करते हैं । मान्यता है कि इस दिन शिव जी अपने भक्तो की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं .. ऐसे में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन उनकी प्रिय चीजें जैसे कि बेलपत्र, भांग, धतूरा, आख आदि फल-फूल चढाते हैं। विशेष रूप से भांग, शिव जी को बेहद प्रिय माना जाता है और ऐसे में लोग इसे खास तौर चढ़ाते हैं और साथ ही इस दिन प्रसाद के रूप भांग का सेवन भी करते हैं । ऐसे में बहुत से लोग ये जानने की इच्छुक होंगे कि आखिर क्यों भगवान शिव को भांग प्रिय है .. आज हम आपको इसके पीछे की वजह बता रहे हैं।
सबसे पहले भांग की बात करें तो ये एक ऐसा पेय पदार्थ है जो विषैला होता है लेकिन अगर शरीर में पहले से ही कोई विषाक्त पदार्थ हों तो फिर ये उस विष को खत्म कर देता है। इसलिए आयुर्वेद में इसे मानव हितकारी औषधि भी मानी जाती है। आयुर्वेद में इसे कई प्रकार के विकारों के निवारण के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.. शरीर की त्वचा पर फोड़े-फुंसी और घावों को भरने में भी भांग लाभकारी होती है। लेकिन बात ये है कि आखिर भांग भगवान शिव को पसंद क्यो .. पुराणों में इसके बारे में कई सारी कथाएं प्रचलित हैं । चलिए आपको इन कथाओं से परिचित कराते हैं ..
दूसरी कथा के अनुसार भांग गंगा की बहन है.. क्योंकि दोनों ही भगवान शिव के सिर पर निवास करती हैं। वहीं भांग के पौधे को माता पार्वती का स्वरूप भी माना जाता है।इसलिए भी ये भगवान शिव को प्रिय है।साथ ही भांग को सोमरस के नाम से भी जाना जाता है और ऐसा माना जाता है भगवान शिव हमेशा ध्यानमग्न रहते हैं और इसीलिए वह भांग का सेवन करके मग्न रहते हैं।
इस तरह, सनातन धर्म में भगवान शिव के प्रिय पेय पदार्थ भांग के बारे में कई सारी दंतकथाएं प्रचलित हैं। तो इस शिवरात्रि आप भगवान शिव को उनके प्रिय भांग जरूर चढाएं .. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 13 फरवरी, मंगलवार और 14 फरवरी, बुधवार को दोनों दिन मनाया जा रहा है। मुहर्त की बात करें तो मुहूर्त की अवधि कुल 51 मिनट की है और शिवरात्रि में निशिथ काल पूजा का समय 24:09+ से 25:01+ तक होगा। वहीं 14 तारीख को महाशिवरात्रि पारण का समय 07:04 से 15:20 तक होगा।