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श्रीलंका में हुए धमाके के मामले में 9 मुस्लिम मंत्रियों और दो गवर्नर ने दिया अपना इस्तीफा

श्रीलंका में पिछले चार दिनों से जारी प्रदर्शनों के बीच सोमवार को नौ मुस्लिम मंत्रियों और दो गवर्नर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अप्रैल में ईस्टर पर हुए आतंकी हमलों के सिलसिले में तीन मुस्लिम मंत्रियों के इस्तीफे की मांग को लेकर चार दिनों से बहुसंख्यक बौद्ध समुदाय के हजारों लोग कैंडी में प्रदर्शन कर रहे थे।

प्रदर्शनकारियों में बौद्ध समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सांसद अतुरालिए रतना थिरो भी शामिल थे, जो बौद्ध भिक्षु भी हैं। वे तीनों मंत्रियों के इस्तीफे और मामले की जांच की मांग को लेकर कैंडी में चार दिन से आमरण अनशन कर रहे थे। अतुरालिए का आरोप है कि तीनों मुस्लिम मंत्रियों के संबंध कट्टरपंथी संगठन नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) से हैं। ईस्टर धमाकों के बाद सरकार ने एनटीजे को प्रतिबंधित कर दिया था। सोमवार दोपहर को दो मुस्लिम गवर्नरों अजत सैली और हिज्बुल्ला ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरीसेना ने गवर्नरों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। दोनों गवर्नरों के इस्तीफे के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल सभी नौ मुस्लिम मंत्रियों, उप मंत्रियों और राज्य मंत्रियों ने भी त्यागपत्र दे दिया। 225 सदस्यीय संसद में 19 मुस्लिम सांसद हैं, जिनमें नौ कैबिनेट में शामिल थे। उद्योग और वाणिज्य मंत्री रिसत बैथियूथीन पर आरोप है कि वह एनटीजे का समर्थन करते रहे हैं। हालांकि, उन्होंने इन आरोपों को खारिज किया है।

श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस के सांसद रऊफ हकीम ने कहा, ‘जब तक मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती है, मुस्लिम सांसद सरकार में शामिल नहीं होंगे।’ वरिष्ठ मंत्री कबीर हाशिम ने इस्तीफा देने के बाद कहा, ‘एक जिम्मेदार समुदाय के नाते हमने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया ताकि मामले की निष्पक्ष जांच पूरी हो और देश में शांति कायम रहे। ईस्टर पर हुए धमाकों के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग खुद से एनटीजे के बार में पुलिस को सूचना देते रहे हैं।

हालांकि, कुछ निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी से मुस्लिम समुदाय चिंतित जरूर है।’ ईस्टर पर राजधानी कोलंबो समेत तीन शहरों में पांच सितारा होटलों और चर्चों में हुए आत्मघाती हमलों में 250 से ज्यादा लोग मारे गए थे, जबकि करीब 500 घायल हुए थे। इन हमलों की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली थी, लेकिन श्रीलंका सरकार ने इसके लिए स्थानीय कट्टरपंथी संगठन एनटीजे को जिम्मेदार ठहराया था।

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