संसद परिचर्चा स्थल के बजाय अखाड़े में बदली : राष्ट्रपति
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि अच्छी से अच्छी विरासत के संरक्षण के लिए लगातार देखभाल जरूरी होती है। लोकतंत्र की हमारी संस्थाएं दबाव में हैं। संसद में परिचर्चा होने के बजाय यह टकराव के अखाड़े में बदल चुकी है। देश के 69वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का उल्लेख किया और कहा, ‘‘यदि लोकतंत्र की संस्थाएं दबाव में हैं तो समय आ गया है कि जनता तथा उसके दल गंभीर चिंतन करें। सुधारात्मक उपाय अंदर से आने चाहिए।’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारा सौभाग्य है कि हमें ऐसा संविधान प्राप्त हुआ है, जिसने महानता की ओर भारत की यात्रा का शुभारंभ किया। इस दस्तावेज का सबसे मूल्यवान उपहार लोकतंत्र था, जिसने हमारे प्राचीन मूल्यों को आधुनिक संदर्भ में नया स्वरूप दिया तथा विविध स्वतंत्रताओं को संस्थागत रूप प्रदान किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसने स्वाधीनता को शोषितों और वंचितों के लिए एक सजीव अवसर में बदल दिया तथा उन लाखों लोगों को समानता तथा सकारात्मक पक्षपात का उपहार दिया, जो सामाजिक अन्याय से पीड़ित थे। हमने अप्रचलित परंपराओं और कानूनों को समाप्त किया तथा शिक्षा और रोजगार के माध्यम से महिलाओं के लिए बदलाव सुनि>ित किया। हमारी संस्थाएं इस आदर्शवाद का बुनियादी ढांचा हैं।’’ राष्ट्रपति ने इस अवसर पर सशस्त्र सेनाओं, अर्धसैनिक बलों तथा आंतरिक सुरक्षा बलों के सदस्यों के साथ ही उन सभी खिलाड़ियों को बधाई दी, जिन्होंने भारत तथा दूसरे देशों में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया और पुरस्कार जीते। उन्होंने 2०14 के लिए नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी को बधाई दी। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारा लोकतंत्र रचनात्मक है, क्योंकि यह बहुलवादी है। परंतु इस विविधता का पोषण सहिष्णुता और धैर्य के साथ किया जाना चाहिए। स्वार्थी तत्व सदियों पुरानी इस पंथनिरपेक्षता को नष्ट करने के प्रयास में सामाजिक सौहार्द्र को चोट पहुंचाते हैं। सरकार और जनता, दोनों के लिए कानून का शासन परम पावन है, परंतु समाज की रक्षा एक कानून से बड़ी शक्ति द्वारा भी होती है और वह है मानवता।’’ राष्ट्रपति प्रणब ने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था, ‘‘आपको मानवता पर भरोसा नहीं खोना चाहिए। मानवता एक समुद्र है, यदि समुद्र की कुछ बूंदें मैली हो जाएं, तो समुद्र मैला नहीं हो जाता।’’