सपा से खफा ठाकुरों को मनाने आए राजा
लखनऊ (दस्तक ब्यूरो)। प्रतापगढ़ के कुंडा में हुए जियाउल हक हत्याकांड में क्लीन चिट मिलने के लंबे अंतराल के बाद आखिर सपा को मजबूर होकर राजा भैया को मंत्रिमंडल में वापस लाना पड़ा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दंगों के बाद राजनीतिक संतुलन साधने सपा सरकार ने निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को एक बार फिर मंत्रिपरिषद में जगह दे दी है। राज्यपाल बीएल जोशी ने शुक्रवार को राजभवन में उनको मंत्री पद की शपथ दिलाई। माना जा रहा है कि पूरब से पश्चिम तक ठाकुरों के सपा के खिलाफ गोलबंद होने के कारण नेतृत्व को ऐसा निर्णय लेना पड़ा। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद सपा नेतृत्व को राजा भैया की जरूरत महसूस होने लगी थी। कहा जा रहा है कि जल्द ही राजा भैया ठाकुरों का सरकार के प्रति गुस्सा शांत कराने के मकसद से मेरठ (खेड़ा) जा सकते हैं। शपथ ग्रहण समारोह में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के साथ ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव तथा आजम खां भी मौजूद थे। राजा भैया की मंत्रिमंडल में वापसी के साथ प्रतापगढ़ के सपा प्रत्याशी बदले जाने की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। गौरतलब है कि प्रतापगढ़ से सपा प्रत्याशी सीएन सिंह के राजा भैया से छत्तीस के रिश्ते हैं। मंत्रिपरिषद विस्तार का फैसला गुरुवार को आनन-फानन में हुआ और राजस्थान गए राज्यपाल बीएल जोशी को विशेष विमान से बुलाया गया। डेढ़ साल पुरानी अखिलेश सरकार का चौथा मंत्रिपरिषद विस्तार होगा। राजा भैया के मंत्रिपरिषद में शामिल होने की बुनियाद आजम खां व रघुराज के बीच मुलाकात में ही रखी गयी थी। उल्लेखनीय है कि लगातार पांच बार से कुंडा विधानसभा से चुनाव जीतने वाले निर्दलीय विधायक राजा भैया अखिलेश सरकार में खाद्य रसद तथा कारागार मंत्री थे। बीते मार्च में डीएसपी जिया उल हक की कुंडा में हुई हत्या के मामले में जिला हक की पत्नी ने राजा भैया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसके चलते राजा भैया ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। आखिरकार 1 अगस्त को राजा भैया को कुंडा सीओ मर्डर केस में सीबीआई से क्लीन चिट मिल गई। अखिलेश नहीं थे राजी पहले और न ही अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने मंत्रिमंडल में राजा भैया को शामिल करने के पक्षधर हैं।