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सबरीमाला मंदिर में टूटेगी 1500 साल पुरानी परंपरा? महिलाओं की एंट्री पर SC में सुनवाई

एजेन्सी/ kerala01_1460351766नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम.केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर रोक के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। पिछले दिनों महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में 400 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए महिलाओं को एंट्री और पूजा की इजाजत मिल चुकी है। ऐसे में सबरीमाला मंदिर को लेकर सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं। कोई फैसला आ सकता है।क्यों है महिलाओं की एंट्री पर रोक… 
 
– बता दें कि सबरीमाला मंदिर में परंपरा के मुताबिक, 10 से 50 साल की महिलाओं की एंट्री पर बैन है।
– मंदिर ट्रस्ट की मानें तो यहां 1500 साल से महिलाओं की एंट्री पर बैन है। इसके लिए कुछ धार्मिक कारण बताए जाते रहे हैं।
– केरल के यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 2006 में पीआईएल दाखिल की थी।
– करीब 10 साल से यह मामला कोर्ट में पेंडिंग है।
 
सुप्रीम कोर्ट ने पहले क्या कहा था?
 
– पिछली सुनवाई में कोर्ट ने ट्रस्ट से पूछा था, “जब वेदों, उपनिषदों या किसी भी शास्त्र में महिला और पुरुषों में भेदभाव नहीं तो सबरीमाला में क्यों है? मंदिर में महिलाओं की एंट्री कब बंद हुई और इसका क्या इतिहास है?”
– जस्टिस दीपक मिश्रा की बैंच ने कहा था महिलाओं को मंदिर के अंदर जाने से नहीं रोका जा सकता है।
– कोर्ट ने कहा था- मंदिर बोर्ड की इस दलील पर भरोसा नहीं किया जा सकता है कि यहां 1500 साल से मंहिलाओं की एंट्री पर रोक है।
– सबरीमाला मंदिर बोर्ड के चीफ गोपालकृष्णन ने नवंबर, 2015 में महिलाओं की एंट्री को लेकर विवादित बयान दिया था। उनके इस बयान के खिलाफ सोशल मीडिया पर महिलाओं ने कैंपेन भी चलाया था।
 

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