सभी देवों के विपरीत भगवान शिव ही भांग क्यों पीते है
भगवान् शिव त्रिदेवों में से एक है जिन्हें मृत्यु का देवता भी कहा जाता है इसी कारण से इन्हें महाकाल के नाम से जाना जाता है इनकी भक्ति करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है व मोक्ष की प्राप्ति होती है. जिस प्रकार इनका पहनावा भस्म, सर्प आदि है उसी प्रकार इनका प्रसाद भी सभी से भिन्न है इन्हें भांग, धतूरा अधिक प्रिय है इसी कारण से इनके भक्त इन्हें प्रसाद के रूप में भांग,धतूरा अर्पित करते है. लेकिन क्या आप जानते है की भगवान् शिव को भांग क्यों पसंद है इसके पीछे भी कई प्रकार की मान्यताएं है जिसके अनुसार भगवान् शिव को भांग प्रिय है तो आइये जानते है इस विषय में क्या मान्यताएं है?
कहा जाता है की भगवान् शिव अधिकतर समय योग साधना में लीन रहते है और भांग का सेवन करने से मन व मस्तिष्क को केन्द्रित किया जा सकता है इसी कारण से भगवान् शिव भांग का सेवन करते है. साधू, अघोरी, योगी भी इसे भगवान् शिव का प्रसाद मानकर इसका सेवन करते रहते है.
वेदों के अनुसार जब देव व दानव समुद्र मंथन कर रहे थे तभी उस पर्वत पर मद्र की एक बूंद गिर जाने के कारण एक पौधा उत्पान्न हुआ इसे ही भांग का पौधा कहा जाता है इसका रस सभी देवताओं को बहुत ही प्रिय लगा जिसके कारण उन्होंने इसका सेवन करना प्रारंभ किया.
पुराणों में भी इस विषय में कहा गया है कि समुद्र मंथन से निकले विष का का पान करने से भगवान् शिव के शरीर में अग्नि सी तीव्र ऊष्मा उत्पन्न होने लगी जिसे शांत करने के लिए उन्होंने भांग का सेवन किया. क्योंकि भांग की प्रकृति ठंडी होती है.