सभी धर्मों में तलाक जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए कानून बने: संघ विचारक इंद्रेश कुमार
लखनऊ.तीन तलाक को लेकर संघ विचारक इंद्रेश कुमार ने कहा, “ट्रिपल तलाक वाले बिल या कोई और बिल सरकार लेकर आए, जिससे सभी धर्मों में तलाक जैसी कुरीतियां खत्म हो सके।” बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केन्द्र सरकार ट्रिपल तलाक को लेकर कानून बना रही है।
पीड़ित महिलाओं के बच्चों का ध्यान रखा जाए…
– ट्रिपल तलाक के लिए दोषी पाए जाने वालों के लिए 3 साल की सजा होनी चाहिए। पीड़ित महिलाओं को मुआवजा मिलना चाहिए। तलाकशुदा पीड़ित महिलाओं के बच्चों का भी ध्यान रखा जाए। जिले में कमेटी बनाए जाए, ताकि तलाकशुदा महिलाओं को मदद मिल सके।”
मजहब के नाम पर किसी से खिलवाड़ नहीं- बाबा रामदेव
-सीएम योगी से मिलने के लिए बाबा रामदेव ने ट्रिपल तलाक पर बयान दिया। उन्होंने कहा,”मजहब के नाम पर किसी के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। महिलाओं के सम्मान से समाज आगे बढ़ेगा। ट्रिपल तलाक को लेकर केन्द्र सरकार जो कानून बना रही है, वो एक सराहनीय पहल है । इससे महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ेगा। वो हर क्षेत्र में बिना डर के काम कर सकेंगी।”
ट्रिपल तलाक को लेकर सरकार ला रही है कानून
– तीन तलाक को खत्म करने के लिए सरकार ने नए कानून का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसका नाम ‘द मुस्लिम वूमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल’ रखा गया है। इसके अनुसार अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक देता है, यह गैरकानूनी होगा।
तीन साल की सजा होगी
– इस कानून में तीन साल की सजा का प्रावधान रखा गया है। ड्राफ्ट को मंजूरी के लिए राज्य सरकारों को भेजा गया है। उन्हें एक हफ्ते का समय दिया गया है। सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को पेश कर सकती है। पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा। हालांकि सरकार के पास अधिकार है कि वह इसे पहले भी लागू कर सकती है। ई-मेल, व्हाट्स एप, एसएमएस आदि से दिए तलाक पर भी यह लागू होगा।
मोदी ने की थी पहल, 6 मंत्रियों का समूह बनाया
– संविधान पीठ ने इस साल 22 अगस्त को तीन तलाक को अवैध करार देते हुए सरकार से कानून बनाने को कहा था। पीएमने खुद इस मामले में पहल की। ड्राफ्ट बनाने के लिए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, गृह राज्य मंत्री पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह का समूह बनाया। सूत्रों के अनुसार 1986 के शाहबानों केस के बाद बनाया गया कानून तलाक के बाद लागू होता था, जबकि नया कानून तीन तलाक को रोकेगा और पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलेगा।
पीड़िता नाबालिग बच्चे की कस्टडी और गुजारा भत्ता मांग सकेंगी
– यह एक बार में तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत पर ही लागू होगा। गैरजमानती और संज्ञेय अपराध होगा। तलाक देने वाले के खिलाफ मुकदमा होगा। सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है।
-पीड़ित महिला अपने और नाबालिग बच्चों के लिए भरण-पोषण और गुजारा भत्ता की मांग कर सकती हैं। भत्ता और जुर्माने की राशि तय करने का अधिकार मजिस्ट्रेट को होगा। महिला बच्चों की कस्टडी की गुहार भी लगा सकेंगी। कानून लागू होने से पहले भी पीड़ित महिलाएं कस्टडी और भत्ते का दावा कर सकेंगी।
अभी भत्ते और कस्टडी का हक नहीं
– मौजूदा समय में पीड़ित पत्नी के पास बच्चे की कस्टडी और भत्ते का अधिकार नहीं हैं। कोर्ट के आदेश के बावजूद तीन तलाक देने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का प्रावधान भी पुलिस के पास नहीं है।