हर एक के लिए फुर्सत के मायने अलग-अलग होते हैं। जैसे कुछ लोगों के लिए फुर्सत या छुट्टी का मतलब है बस घर में बैठे-बैठे कुछ करते रहना।
कुछ-कुछ यानी कभी किसी कमरे को नए सिरे से सजाना तो कभी कोई किताब पढ़ना, बहुत दिनों से अधूरी पड़ी किसी पेंटिंग को पूरा करने की कोशिश या हारमोनियम-तबला लेकर बैठ जाना, किसी भूली-बिसरी धुन पर सिर धुनना और कोई सिरा पकड़ में आ जाने पर उसी की मस्ती में खो जाना…। ऐसा कुछ भी या इससे भी भिन्न कुछ और, बस घर में बैठे-बैठे करते रहना।
कुछ लोगों के लिए फुर्सत का मतलब चार दीवारों के दायरे से थोड़ा आगे बढ़कर बाहर निकलकर कुछ करना होता है। यह किसी बाजार या मॉल में जाकर शॉपिंग करना हो सकता है, किसी अजीज दोस्त या रिश्तेदार से मिलना हो सकता है, कोई हॉबी क्लास ज्वॉइन करना हो सकता है या फिर कुछ और…। कुछ लोग योग या ध्यान के शिविर में चले जाते हैं, यानी फुर्सत पाते ही हर कोई अपनी पसंद का काम ढूंढ निकालता है।
फुर्सत यानी कुछ और
लेकिन कुछ लोगों के लिए फुर्सत का मतलब यह सब भी नहीं होता। उनके लिए फुर्सत का मतलब सिर्फ छुट्टियां होता है। छुट्टियां अगर थोड़ी लंबी हों यानी हफ्ते-दो हफ्ते का समय मिल जाए तो बहुत अच्छा, वरना एक-दो दिन की त्योहारी छुट्टी ही मिले तो भी चलेगा।
एक-दो दिन अगर कहीं शनिवार-रविवार से जुड़े मिल जाएं तब तो कहने ही क्या! वे इतनी-सी छुट्टी पाकर भी बेहिसाब खुश होते हैं। अव्वल तो ऐसी छुट्टियों का इंतजार वे महीनों पहले से कर रहे होते हैं और उसी हिसाब से अपने कार्यक्रम सुनिश्चित कर ट्रेन या प्लेन टिकट से लेकर निकट या दूर के किसी शहर या कस्बे में होटल तक की बुकिंग करवा चुके होते हैं। कुछ लोग यह काम ग्रुप में करते हैं तो कुछ अकेले और कुछ परिवार के साथ।
हफ्ते-दो हफ्ते की छुट्टियां तो ऐसे लोगों के लिए बड़ी नेमत होती हैं। और हां, छुट्टियां वाकई नेमत होती हैं। ये आपको सिर्फ मानसिक सुकून ही नहीं देती, आपकी रचनात्मक क्षमता को बढ़ाती हैं और अर्थव्यवस्था के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। छुट्टियों को हमारे यहां अधिकतर सैर-सपाटे से जोड़कर देखा जाता है। इससे मनोदशा में बदलाव तो होता ही है, देश-विदेश की सभ्यता और संस्कृति की जानकारी भी मिलती है।
लौटकर लोग खुद को ज्यादा ऊर्जावान महसूस करते हैं और नए उत्साह के साथ अपने रूटीन काम में जुट जाते हैं। जरूरी किस्म की छोटी या व्यावसायिक यात्राओं की बात अलग है, लेकिन आमतौर पर यह देखा जाता है कि लोग लंबी यात्राओं पर पूरे परिवार के साथ ही जाना चाहते हैं। इसकी कई वजहें हैं। माना जाता है कि इससे सफर का मजा बढ़ जाता है। पूरे परिवार के एक साथ कहीं पर्यटन पर जाने से समग्रता में बजट भी संतुलित रहता है।
रिश्तों में जान
हम भारतीयों के लिए छुट्टियां केवल सेहत बनाने, कुछ सीखने, ज्ञान बढ़ाने और मौज-मस्ती करने ही नहीं, अपने मूल और रिश्तों को सहेजने का भी एक साधन है। मनोवैज्ञानिक विचित्रा दर्गन आनंद कहती हैं-‘अब लोगों को इस बात का एहसास होने लगा है कि फैमिली हॉलिडे अपने रिश्तों को रिवाइव करने का अच्छा माध्यम हैं।’ इसलिए साल में कम से कम एक बार लोगों को परिवार छुट्टियां बिताने का समय जरूर निकालना चाहिए। यह जरूरी नहीं है कि इसके लिए आपकी छुट्टियां बहुत लंबी हों या हर बार ढेर सारे पैसे खर्च करके आप विदेश यात्रा पर ही जाएं क्योंकि ऐसी छुट्टियों में डेस्टिनेशन के बजाय परिवार के साथ बिताए जाने वाले खुशनुमा पलों की ज्यादा अहमियत होती है।
सबके साथ घूमने का मजा ही कुछ और आज की जीवनशैली इतनी व्यस्त है कि एक ही छत के नीचे रहने के बावजूद लोगों को अपने परिवार के साथ फुर्सत के दो-चार पल बिताने का भी मौका नहीं मिलता। ऐसे में फैमिली हॉलिडे के बहाने उन्हें अपने परिवार के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताने का मौका मिलता है। वैसे भी छुट्टियों में पूरे परिवार के साथ घूमने-फिरने का अपना अलग ही मजा है, पर ऐसी यात्रा की तैयारी करते समय सबकी रुचियों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है।
चाहते क्या हैं
छुट्टियों पर जाने से पहले यह तय करें कि आप वास्तव में चाहते क्या हैं। यह फैसला किसी अन्य के दबाव या प्रभाव में नहीं होना चाहिए। अपनी पसंदीदा गतिविधि के अनुसार सही जगह का चुनाव करें। इसके लिए पहले से कार्यक्रम तय करें और बजट बनाएं।
तय हो योजना
आप अपने रिलेक्सेशन के लिए जो कुछ भी करना चाहते हों, उसके लिए एक-एक दिन की पूरी योजना सुनिश्चित कर लें। योजना तय करते समय ध्यान भी रखें कि जरूरत के मुताबिक थोड़ी ढील की गुंजाइश भी हो। बहुत टाइट शेड्यूल भी तनाव का कारण बन जाता है और छुट्टियों का मजा किरकिरा कर देता है।
जरूरी है जानकारी
कहते हैं आप जो कुछ भी करें उसकी पूरी जानकारी आपको होना चाहिए। इसी कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण है सैर-सपाटा। आप जहां जाएं उस स्थान के बारे में इंटरनेट या पत्रिकाओं की मदद लेते हुए कई जरूरी जानकारियां एकत्रित कर लें ताकि आपको कोई दिक्कत न हो।
छोटे बजट में
अगर आप फुर्सत के पलों का लुत्फ घुमक्कड़ी में तलाशते हैं और बजट आपको दूर देश जाने की इजाजत नहीं देता तो जरूरी नहीं कि आप जबरिया बजट खींचतान कर परेशानी मोल लें। आपके देश में भी देखने-जानने के लिए बहुत कुछ है। इन जगहों पर पर्यटन आप पूरे परिवार के साथ छोटे बजट में कर सकते हैं।
तैयारी पहले से
लास्ट मिनट पैकिंग छुट्टियों के आनंद में सबसे बड़ी बाधा होती है। क्या ले जाना है और क्या नहीं, इसकी लिस्ट पहले ही बना लें। यह सही है कि बहुत बोझ दिक्कत का सबब होता है, लेकिन जरूरी चीजों का छूट जाना भी मुश्किल पैदा कर सकता है।
तनाव को अलविदा
ऐसा कुछ भी जो आपके लिए तनाव का कारण हो और आपको रोजमर्रा रूटीन में बंधे रहने का एहसास दिलाए, उसे किनारे करें। यह मोबाइल या इंटरनेट भी हो सकता है और कुछ दोस्त, परिचित या रिश्तेदार भी। दैनिक जीवन के तनाव साथ लेकर न चलें।
सहज रहें
छुट्टियों का असली लुत्फ रिलेक्स होने में है और रिलेक्सेशन मिलता है सहजता से। ऐसा कुछ भी जो सहज होने में बाधक बने, उससे दूर ही रहें तो ही ले सकेंगे पूरा मजा। अगर कोई चीज या किसी की गतिविधि आपको पसंद न आए तो उससे दूर हट जाएं।