दस्तक टाइम्स/एजेंसी- नई दिल्ली : दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार एक कानून में संशोधन करने जा रही है जिसके तहत सिटीजन चार्टर में शामिल सेवाएं मुहैया कराने में हुई देरी पर अधिकारियों और कर्मियों को हर्जाना देना पड़ सकता है। लोगों को ‘स्वत: और आवश्यक’ रूप से हर्जाने का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए यह संशोधन करने की तैयारी है । मौजूदा प्रावधानों के अनुसार हर्जाने के लिए अलग से आवेदन करना होता है।
केजरीवाल ने कहा, ‘विधानसभा द्वारा पारित कर दिए जाने के बाद हम इसे अगले साल एक जनवरी से लागू करने की योजना बना रहे हैं।’ शीला दीक्षित सरकार के कार्यकाल के दौरान लागू किए गए मौजूदा कानून में अभी कुल 371 सेवाएं ऐसी हैं जिसके दायरे में लगभग सभी विभाग आते हैं। केजरीवाल ने कहा कि इसकी गलत संरचना के कारण पिछले तीन सालों में अब तक इस कानून के तहत कोई दावा दाखिल नहीं किया गया। इलेक्ट्रॉनिक सेवा स्तर समझौता (एस्ला) के तहत प्रदान की जाने वाली सेवाएं प्राप्त करने के लिए लोग ऑनलाइन आवेदन दाखिल कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘संशोधित कानून के तहत यदि आपको 15 दिनों के भीतर प्रमाण-पत्र मुहैया कराने का वादा किया गया है और फिर आपको उपलब्ध नहीं कराया जाता तो 16वें दिन से मुआवजे की प्रक्रिया खुद ही काम करना शुरू कर देगी।’ केजरीवाल ने कहा, ‘एक बार प्रमाण-पत्र पाने के बाद आपको मुआवजे की राशि की सूचना दे दी जाएगी और 15 दिनों के भीतर सक्षम अधिकारी सीधा आपके बैंक खाते में मुआवजे की राशि जमा कर देगा।’