उत्तराखंडदस्तक-विशेष

सरकार के सौ दिन पर अपनी-अपनी सियासत

मुख्यमंत्री सरकार के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर गढ़ी कैन्ट स्थित टपकेश्वर महादेव मन्दिर प्रांगण तथा टोंस (तमसा) नदी के तट में नगर निगम की ओर से आयोजित स्वच्छता अभियान में प्रतिभाग किया। टपकेश्वर महादेव मन्दिर प्रांगण में लगभग आधे घण्टे से अधिक समय तक स्वच्छता अभियान चला। उन्होंने वहां उपस्थित लोगो को स्वच्छता के प्रति सजग रहने और इसके लिए समय देने, हर सप्ताह 2 घण्टे श्रमदान करके स्वच्छता में योगदान देने, गंदगी न करने तथा न ही किसी और को करने देने, स्वच्छता का अभियान सबसे पहले स्वयं से करने तथा फिर मुहल्ले, शहर और विद्यालय आदि से करने, शहर-शहर, गली-गली स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार करने की शपथ दिलवाई।

-गोपाल सिंह
उत्तराखंड में प्रधानमंत्री के डबल इंजन की डिमांड तो यहां की जनता ने पूरी करते हुए भाजपा को प्रचंड बहुमत दिला दिया। इसके बाद सरकार ने प्रदेश में सौ दिन का कार्यकाल भी सफलता से पूरा तो किया, लेकिन इन सौ दिनों में कुछ भी ऐसा नहीं दिखा कि जिस पर भगवाधारी कार्यकर्ता सीना चौड़ा कर कह सकें कि उन्होंने आम जनता के लिए कुछ किया। अलबत्ता सरकार की ओर से जिस प्रकार से शराब की दुकानें सड़क किनारे खोली जा सकें इसके लिए पहले से राष्ट्रीय व राज्य मार्गों को बदलकर जिला मार्ग घोषित कर दिया। इससे प्रदेश भर में अब भी शराब के खिलाफ विभिन्न स्थानों पर महिलाओं का आंदोलन जारी है। वहीं इससे गाहे बगाहे सरकार पर सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर सरकार ने शराब माफिया के पक्ष में ऐसा निर्णय क्यों लिया। वहीं किसानों की बात करें तो पहली बार राज्य में दो किसानों ने कर्ज न चुका पाने के चलते आत्महत्या भी कर दी है। हालांकि यह बात अलग है कि सरकार के मंत्रियों का दावा है कि उन्होंने घोषणा पत्र या फिर विजन डाक्यूमेंट में कहीं भी किसानों के कर्ज माफी का वादा नहीं किया था।
इन सबके बावजूद सरकार के 100 दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कई कार्यकर्मों में शिरकत करते हुए सफाई अभियान के तहत झाड़ू लगाई। मुख्यमंत्री सरकार के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर गढ़ी कैन्ट स्थित टपकेश्वर महादेव मन्दिर प्रांगण तथा टोंस (तमसा) नदी के तट में नगर निगम की ओर से आयोजित स्वच्छता अभियान में प्रतिभाग किया। टपकेश्वर महादेव मन्दिर प्रांगण में लगभग आधे घण्टे से अधिक समय तक स्वच्छता अभियान चला। उन्होंने वहां उपस्थित लोगों को स्वच्छता के प्रति सजग रहने और इसके लिए समय देने, हर सप्ताह 2 घण्टे श्रमदान करके स्वच्छता में योगदान देने, गंदगी न करने तथा न ही किसी और को करने देने, स्वच्छता का अभियान सबसे पहले स्वयं से करने तथा फिर मुहल्ले, शहर और विद्यालय आदि से करने, शहर-शहर, गली-गली स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार करने की शपथ दिलवाई। उन्होंने कहा कि यह अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि गत 22 जून को उत्तराखण्ड ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच से प्रथा से मुक्त हो चुका है तथा राज्य सरकार द्वारा संकल्प लिया गया है कि चालू वितीय वर्ष में 31 मार्च से पूर्व ही राज्य को शहरी क्षेत्र में भी ओडीएफ कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से स्वच्छ भारत मिशन एक महाअभियान बन चुका है। इससे पूर्व उन्होंने सरकार के सौ दिन पूरे होने पर टपकेश्वर महादेव मन्दिर पहुंचकर पूजा अर्चना की तथा राज्य की सुख, समृद्घि व खुशहाली की कामना की।
इसके बाद दीप लोक कालोनी बल्लूपुर में श्री जग्गनाथ समिति द्वारा आयोजित विश्व प्रसिद्घ श्री श्री जगन्नाथ गुण्डिचा रथ यात्रा में नन्दीघोष रथ प्रारम्भ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि यह शुभ अवसर है कि आज ही के दिन सरकार ने सौ दिन पूरे किए है। हमें जनता को 100 दिन का लेखा-जोखा देना है। यह अत्यन्त प्रसन्नता की बात है कि देहरादून स्मार्ट सिटी के लिए चयनित हो गई है। अब इसके स्वरूप के और अधिक सौन्दर्यीकरण तथा सुविधाओं के विकास की आवश्यकता है। इस प्रयास में आप सब लोगो के सहयोग अपेक्षित है। मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की जल संरक्षण आज की आवश्यकता ही नही अनिवार्यता बन गई है। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में 20 लाख टॉयलेट्स हैं। राज्य की 1़10 करोड़ की आबादी है। प्रति व्यक्ति द्वारा शौचालय प्रयोग के दौरान एक दिन में लगभग 7 से 10 लीटर पानी का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति एक लीटर पानी भी रोज बचाता है तो सम्पूर्ण राज्य में हम लगभग 1 करोड़ लीटर पानी बचा सकते हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता से अपील की इसके लिए हमें अपने टॉयलेट के सिस्टर्न में एक लीटर की प्लास्टिक की बोतल में आधा रेत व आधा पानी भरकर रखना होगा। इस प्रकार यदि एक परिवार प्रतिदिन 15 बार सिस्टर्न चलाता है तो प्रतिदिन 15 लीटर पानी की बचत होगी। ऐसा करने से सिस्टर्न की कार्यकुशलता पर कोई प्रभाव नहीं पडे़गा, किन्तु प्रदेश भर में एक वर्ष में लगभग 547़50 करोड़ लीटर पानी की बचत होगी। उन्होंने कहा कि हमें इस उपाय को अपने घरों के अतिरिक्त कार्यालयों तथा होटलों में भी अपनाना होगा। इस अभियान में आम नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। उत्तराखण्ड का यह अभियान पूरे देश में पहुंचना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य स्थापना के समय हमारे जल स्रोतों से 72 एमएलडी जल प्रवाहित होता था जो कि वर्तमान में लगभग 40 एमएलडी हो गया है। साथ ही राज्य की आबादी भी पांच गुना बढ़ गई है, परन्तु जल आपूर्ति आधी हो गई है। जल स्रोतों को पुनर्जीवित एवं रिचार्ज कैसे किया जाय इस पर गम्भीर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि यह अत्यन्त चिंता का विषय है कि आज रिवर बेल्ट पर भारी संख्या में मकान बना दिए गए हैं। पक्के फर्श का प्रचलन हो गया है। नालियों का जाल बिछ गया है। उक्त कारणों से भू-जल रिचार्ज में बाधा उत्पन्न हो गई। भू-जल रिचार्ज एवं जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने हेतु भी आम जन की सक्रिय भागीदारी अति आवश्यक है। राज्य सरकार द्वारा रिस्पना एवं बिन्दाल नदियों को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है। रावत ने कहा कि मकानो के निर्माण के समय वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी हमें लगाने चाहिए। मुख्यमंत्री ने 100 दिन पूरे होने के अवसर पर कैबिनेट मंत्रियों, विधायकों के साथ प्रधानमंत्री द्वारा ’मन की बात’ संबोधन को सुना। ब्रह्मपुरी, निरंजनपुर, इंदिरा गांधी मार्ग पर स्थित शिव मंदिर में जन समुदाय के बीच एकाग्र और ध्यानपूर्वक प्रधानमंत्री द्वारा कही बात को सुनकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने मनन-चिंतन भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में उत्तराखण्ड को ओडीएफ स्टेट बनने की बधाई दी है। इससे प्रत्येक उत्तराखण्डवासी का हौसला बढ़ा है। स्वच्छता को लेकर भारत में जो अलख प्रधानमंत्री मोदी ने जगाई है, उसे पूरा उत्तराखण्ड अपनी शत-प्रतिशत क्षमता से आगे बढ़ायेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने बहुत खूबसूरती में बताया कि आपातकाल के सामने लोकतंत्र की ताकत कितनी बड़ी साबित हुई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री के मन की बात के कार्यक्रम से लोग प्रेरित हो रहे हैं। लोगों को अभी तक यह लगता था कि अपने तक ही जीवन सीमित है, लेकिन ‘मन की बात’ कार्यक्रम के बाद लोगों को लगने लगा है कि देश एवं समाज के लिए भी अपना योगदान देना चाहिए।
आज के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखण्ड को ओडीएफ स्टेट बनने की बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हैंडराइटिंग बदलाव के लिए लंबे समय तक अभ्यास करना पड़ता है। उसी प्रकार स्वच्छता की आदत डालने के लिए और पुरानी आदत में बदलाव के लिए भी हमें अभ्यास करना होगा। प्रधानमंत्री के इस कथन के संदर्भ में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि प्रदेश में आज स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी है और स्वच्छता कार्यक्रम ने जन-आंदोलन का रूप ले लिया है। शासकीय प्रवक्ता मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम मन की टोह लेने वाली होती है। इस कार्यक्रम से हजारों नौजवान प्रेरित हो रहे हैं। कार्यक्रम के पश्चात मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने पिछड़ा ब्रह्मपुरी क्षेत्र का पैदल निरीक्षण किया। इस क्षेत्र में कमजोर वर्ग के लिए बनाए गए पुनर्वास हेतु 56 फ्लैट का निरीक्षण किया। उन्होंने इस क्षेत्र में मैदान का भी निरीक्षण किया। मेयर विनोद चमोली ने इस मैदान को पार्क एवं बालिका स्कूल निर्माण की मांग रखी।
वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सिंह ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार गठन को 100 दिन पूर्ण हो चुके हैं। भाजपा सरकार द्वारा अपने 100 दिन के कार्यकाल में कई जन विरोधी निर्णय लिये गये हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकार ने उत्तराखण्ड की गरीब जनता को सस्ते गल्ले के माध्यम से मिलने वाले गेहूं एवं चावल के दामों में दोगुनी वृद्घि कर गरीब आदमी के पेट पर लात मारने का काम किया है। कांग्रेस शासन में गेहूं 4 रुपये किलो तथा चावल 9 रुपये किलो मिलता था उसके दाम बढ़ाकर गेहूं 8़60 रुपये किलो तथा चावल के दाम 15 रुपये प्रति किलो कर दिये गये हैं। दूसरी ओर केन्द्र सरकार द्वारा सस्ते गल्ले के माध्यम से वितरित की जाने वाली चीनी और मिट्टी के तेल पर मिलने वाली सब्सिडी को बन्द कर गरीब जनता के साथ छलावा किया गया है। राज्य में पूर्ववती कांग्रेस सरकार द्वारा संचालित राज्य खाद्य योजना की राशन की मात्रा में भी कमी कर दी गई है जिससे कई परिवारों के सामने भरण-पोषण का संकट पैदा हो गया है। राज्य की भाजपा सरकार ने अपने 100 दिन के कार्यकाल में दो बार बिजली के दाम, पानी, सीवर के दाम बढ़ाने के साथ-साथ गरीबों को अस्पताल में मिलने वाली सुविधा में कटौती कर पहले से महंगाई की मार झेल रही गरीब जनता की जेब पर डाका डालने का काम किया है। चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने दृष्टि पत्र में राज्य की जनता से वादा किया था कि सरकार बनने की दशा में किसानों के कर्ज माफ किये जायेंगे, किसानों को ब्याज रहित ऋण दिया जायेगा तथा गन्ना किसानों का बकाया भुगतान 15 दिन के अन्दर किया जायेगा। राज्य सरकार अपने इन तीनों वादों से मुकर गई है तथा इसी की परिणति है कि पिथौरागढ़ के बेरीनाग ब्लाक के डौल डुंगर गांव के किसान सुरेन्द्र सिंह को आत्महत्या का रास्ता चुनना पड़ा जो कि उत्तराखण्ड की इस देवभूमि को शर्मसार करने वाला है।
राज्य सरकार की आबकारी नीति पूर्ण रूप से शराब माफिया को संरक्षण देने, शराब की तस्करी को बढ़ावा देने तथा उत्तराखण्ड के गांवों में हर घर तक शराब पहुंचाने वाली है। भारतीय जनता पार्टी और उसके नेतागण आबकारी नीति को लेकर पूर्ववर्ती कांगे्रस सरकार पर आरोप लगाते नहीं थकते थे परन्तु भाजपा ने सत्ता में आते ही जनभावनाओं के विपरीत आबकारी नीति बनाने का काम किया है। भाजपा ने चुनाव के दौरान राज्य की जनता से वादा किया था कि प्रदेश में पूर्ण शराब बन्दी लागू की जायेगी, परन्तु इसके विपरीत मातृशक्ति का अपमान करते हुए जिस शराब नीति को प्रदेश में लागू किया गया है उससे निश्चित रूप से प्रदेश में शराब माफिया और शराब की तस्करी को बल मिलेगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा शराब के कारोबार को कम करने का आश्वासन देने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा शराब से मिलने वाले राजस्व का लक्ष्य 1800 करोड़ से बढ़ाकर 2300 करोड़ कर शराब माफिया के आगे घुटने टेकने का काम किया है। राज्य सरकार द्वारा पांच पर्वतीय जिलों में देशी शराब की बिक्री शुरू कर पर्वतीय क्षेत्र में देशी शराब को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है तथा राज्यभर में मातृशक्ति द्वारा शराब नीति के खिलाफ चलाये जा रहे आन्दोलन को बल पूर्वक कुचलने के साथ ही आन्दोलन में सम्मिलित महिलाओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर मातृ शक्ति को अपमानित किया जा रहा है। ंिसह ने कहा कि भयमुक्त सरकार के अपने वायदे पर अमल करने में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है। राज्य सरकार के 100 दिन के कार्यकाल में राज्य में हत्या, लूट-पाट, चोरी, डकैती, बलात्कार, चेन स्नैचिंग, टप्पेबाजी आदि अपराधों की घटनाओं में भारी वृद्घि हुई है। राज्य की जनता में भय का वातावरण व्याप्त है तथा महिलाएं अपने को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
गत 24 मार्च 2017 रामनगर वन प्रभाग में कार्यरत कर्मी पहलवान सिंह की अवैध खनन में लिप्त अपराधियों द्वारा ट्रैक्टर के नीचे दबाकर हत्या कर दी गई। अवैध खनन में लिप्त अपराधियों के हौसले कितने बुलंद है, ये इस घटना से साक्षात प्रतीत होता है तथा इससे यह संदेश जा रहा है कि अवैध खनन में लिप्त कारोबारियों को उच्च स्तरीय राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है जो कि पूरे प्रदेश के लिए अत्यंत चिन्ता का विषय है। राज्य में चल रही चारधाम यात्रा में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। अधिकारियों एवं यात्रा से सम्बन्धित विभागीय मंत्री में आपसी सामंजस्य न होने के कारण यात्रियों के पंजीकरण, यात्रा मार्ग पर परिवहन, स्वास्थ्य, दूर संचार व्यवस्थायें पूर्ण रूप से चरमराई हुई हैं। यात्रा मार्ग पर अव्यवस्थाओं के कारण अभी तक लगभग 31 यात्रियों की जान जा चुकी है जो राज्य सरकार की चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं की पोल खोल रहे हैं। हैली टेण्डर सेवा में ऐसी कम्पनियों को राज्य में हैलीकॉप्टर उड़ाने की अनुमति दी गई जिनके अनुभव एवं क्रिया-कलाप पर निरंतर प्रश्न खड़े हो रहे हैं तथा राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन की जानकारी में आने के बावजूद निर्धारित दरों से दोगुनी दरों पर यात्रियों से अवैध तरीके से वसूली की जा रही है और प्रशासन मौन है। सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017 के लिए सभी क्षेत्रों में निराशाजनक बजट प्रस्तुत किया गया है। प्रत्येक वर्ष बजट का आकार बढ़ाया जाता है परन्तु पहली बार ऐसा हुआ है जब पिछले वर्ष की तुलना में बजट के आकार को घटाया गया है। बजट में ऐसे विभाग जो गांव, गरीब, दलित व कमजोर तबके को लाभ पहुंचाने वाले हैं उनके बजट जैसे कृषि विभाग, समाज कल्याण विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी तथा पंचायतों के बजट में भारी कटौती की गई है। पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया, बजट में नौजवानों के भविष्य की घोर उपेक्षा की गई है। राज्य में स्थानान्तरण एक्ट एवं लोकायुक्त एक्ट को बिना कारण लम्बित किया जा रहा है। गैरसैण उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन की भावना है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने उत्तराखण्ड राज्य निर्माण की अवधारणा को साकार रूप देने एवं जनभावनाओं के अनुरूप गैरसैण में विधानसभा भवन का निर्माण करवाते हुए माह नवम्बर, 2015 में गैरसैण में विधानसभा सत्र आहुत किया गया इसी के साथ राज्य विधानसभा में वर्श 2017 का बजट सत्र गैरसैण में आहुत करने का संकल्प पारित किया गया था। परन्तु वर्तमान सरकार ने सदन की भावना के विपरीत बजट सत्र देहरादून में आहुत कर राज्य निर्माण की भावना का अपमान किया है।
देहरादून: बद्री-केदार यात्रा के मुख्य पड़ाव रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय स्थित संगम स्थल बदहाल स्थिति में है। अलकनंदा व मंदाकिनी के संगम स्थल में आपदा के चार साल बाद भी सुरक्षा रैलिंग नहीं लगाई गई है, जबकि नमामि गंगे के तहत किये जा रहे घाट निर्माण में भी देरी की जा रही है। ऐसे में तीर्थयात्रियों को भारी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।
दरअसल, जून 2013 की आपदा में संगम स्थल क्षतिग्रस्त हो गया था और नारद शिला भी मलबे में दब गई थी। इसके साथ ही नदी का उफान बढ़ने से संगम की सुंदरता पर दाग लग गया। ऐसे में श्रद्घालुओं को संगम स्थल पानी चढ़ाने और सांय काल आरती करने में काफी दिक्कतें हो रही हैं। आपदा को पूरे चार साल का समय गुजर चुका है, लेकिन आज तक संगम के पुनर्निर्माण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं। यहां तक की नारदशिला के मलबे में दब जाने के बाद भी नारदशिला के ऊपर पड़े मलबे को हटाया नहीं गया। मंदाकिनी का जल स्तर बढ़ने के बाद अचानक से नारदशिला के ऊपर से मलबा साफ हो गया। मगर अभी भी संगम स्थल पर सबसे बड़ी समस्या सुरक्षा रैलिंग और घाट की बनी हुई है। नगर पालिका की ओर से यहां पर कोई भी सुरक्षा के इंतजाम नहीं किये जा रहे हैं, जबकि नमामि गंगे के तहत चल रहे घाट निर्माण में भी तेजी नहीं दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में तीर्थयात्रियों को जान जोखिम में डालकर संगम स्थल पर पानी चढ़ाने के साथ स्नान करना पड़ रहा है। गंगा आरती समिति के सदस्य कुंवर सिंह बत्र्वाल, पूर्व सभासद अजय सेमवाल, भाजयुमो जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र रावत ने कहा कि हर वर्ष देश-विदेश से लाखों की संख्या में तीर्थयात्री संगम स्थल पहुंचते हैं, लेकिन उनमें आपदा के बाद से मायूसी देखने को मिल रही है। आपदा के बाद घाट का निर्माण किया गया था, जिसमें गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया और पहली ही बरसात में वह बह गया। अब नमामि गंगे के तहत कार्य किये जा रहे हैं, जिसमें में ठेकेदार और कार्यदायी संस्था की मिलीभगत सामने आ रही है। निर्माण कार्य में अनदेखी किये जाने से कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। उन्होंने कहा कि संगम स्थल में रैलिंग न बनाये जाने से यात्री फिसलकर नदी में समा सकते हैं। इसके अलावा यहां पर महिलाओं के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है। चेंजिंग रूम न होने के कारण महिलाओं को भारी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। वहीं जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल भी मानते हैं कि संगम स्थल पर खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष घाटों का निर्माण हुआ था, जो नदी में बह गये। अब नमामि गंगे के तहत घाट का निर्माण किया जा रहा है। कार्यदायी संस्था को कार्य में तेजी लागने को कहा गया है। नदी के एक तरफ मलबा इकट्ठा होने से मंदिर को भी खतरा बना हुआ है। इस वर्ष संगम स्थल पर अधिक कार्य किया जायेगा और सुरक्षा के साथ ही घाटों का सौन्दर्यीकरण भी करवाया जायेगा। वहीं दूसरी ओर बरसात शुरू होते ही मन्दाकिनी नदी के पार बसे ग्रामीणों की मुसीबतें भी बढ़ने लगी हैं। एक बार पुन: उन्हें जान हथेली पर रखकर ट्रॉलियों से सफर करना उनकी नियति बन गई है। शासन-प्रशासन द्वारा इस वर्ष भी पैदल पुलों का निर्माण पूर्ण होने का आश्वासन भी धरा रह गया। मन्दाकिनी का जल स्तर बढ़ने के साथ ही लोनिवि ने विजयनगर, गबनी गांव एवं चन्द्रापुरी में बनाये गये अस्थाई पैदल पुलों को हटा दिया है, जिससे हजारों ग्रामीणों को ट्रॉली से सफर करने को मजबूर होना पड़ेगा। अभी तो भीड़ कम है इसलिए यह आसान लग रहा है, मगर अगले हफ्ते से स्कूल कॉलेजों के खुलने के साथ ही ट्रॉलियों पर भी आवागमन का बोझ बढ़ेगा। क्योंकि अधिसंख्य छात्र-छात्रायें नदी पार से ही आते हैं। ऐसे में स्कूल टाइम पर ट्रालियों में सवारियों का दबाव ज्यादा रहेगा। जो कि दुर्घटना का सबब भी बन सकता है। ऐसे में हजारों ग्रामीण जनता की जीवन रेखा की नियति तारों में झूलने की बन जायेगी।
दरअसल, वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा में मन्दाकिनी नदी पर बने सभी पैदल पुल आपदा की भेंट चढ़ गये थे। आपदा को चार वर्ष गुजर जाने के बाद भी सरकार एक अदद पुल का निर्माण नहीं कर सकी है। मात्र सिल्ली में ही पुल बने हैं वह भी दो पुल एक ही स्थान पर। जबकि विजयनगर एवं चन्द्रापुरी में पुल की अधिक आवश्यकता थी, लेकिन इन स्थानों पर निर्माण की गति कटुवा चाल से चल रही है। जबकि इन स्थानों पर पुल निर्माण को लेकर जनता ने बड़े आन्दोलन किए। धरना-प्रदर्शन से लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम भी लगाया, मगर कोई फायदा नहीं हुआ। इस वर्ष नये जिलाधिकारी के रूप में युवा तुर्क मंगेश घिल्डियाल ने कार्य भार संभाला और त्वरित गति से फैसले लिए। इससे भी जनता में आस बढ़ी। जिलाधिकारी ने भी सबसे अधिक ध्यान पैदल पुलों पर दिया और इसका प्रतिफल भी दिखा। जब वर्षों से पुलों का अटके निर्माण कार्य में तेजी आई, मगर परन्तु यह तेजी भी इस वर्ष ग्रामीणों को ट्रॉली से सफर करने की परेशानी से निजात नहीं दिला पाई। विजयनगर झूला पुल निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि ये पुल केवल रास्ते पार करने के साधन भर नहीं थे, ये हमारी जीवन रेखा के भी पुल थे। पुलों के निर्माण के लिए हर सम्भव प्रयास किए। धरना प्रदर्शन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम करने के अलावा मन्त्रियों का भी घेराव किया। हर बार सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही मिला। जिला पंचायत सदस्य सुलोचना का कहना है कि आपदा को गुजरे चार वर्ष हो गये हैं। नदी से आर पार जाना कठिनाइयों भरा है खासकर नौनिहालों के लिए। ट्रॉली पर लगती बच्चों की लम्बी कतारें देखकर भगवान से प्रार्थना करते हैं कि सब बच्चे सुरक्षित पार हो जायें। कई बार आन्दोलन कर चुके हैं। आगे भी करेंगे, मगर अधिकारियों पर कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है।

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