सरकार ने किया नज़रअंदाज तो खुद ही बना डाला पुल
रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में तीन दिनों तक एक महिला प्रसव पीड़ा से कराह रही थी और गांव से लगकर बहने वाली नारंगी नदी में पानी उफान पर था। हालात ऐसे देख पूरे गांव ने प्रण कर लिया कि ‘शासन बनाए या न बनाए, हम खुद पुल बनाकर ही रहेंगे। पूरे गांव ने मिलकर लकड़ी का पुल दो दिनों में तैयार कर प्रसव से कराह रही महिला को मर्दापल अस्पताल पहुंचाया।
लकड़ी का पुल
जिला पंचायत अध्यक्ष नरेंद्र नेताम के मुताबिक, प्रसव पीड़ा से बेचैन महिला ने मदार्पाल के पीएचसी में स्वस्थ शिशु को जन्म दिया और फिलहाल जच्चा-बच्चा दोनों की सेहत ठीक है। जोश, जज्बे और जिद की यह मिसाल जिले के बड़को गांव के लोगों ने पेश की।
लोगों के जज्बातों का ख्याल रखते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष नरेंद्र नेताम ने गांव वालों के साथ मिलकर खुद भी फावड़ा, तगाड़ी, कुदाल की मदद से लकड़ी का पुल बना डाला।
पुल बनाने के लिए आसपास के जंगलों से लकड़ियां बटोरीं, मिट्टी ढोने से लेकर बाकी श्रमदान में नेताम ने साथ दिया। तैयार पुल का लाभ स्कूली बच्चों को भी मिल रहा है।
साथ ही अपनी जरूरत के लिए बाहर जाने वालों और शिकायतों को सीधे जिला मुख्यालय तक पहुंचाने वालों को भी इससे मदद मिल रही है।
जिला पंचायत अध्यक्ष नेताम ने कहा, “मैं कंक्रीट का पुल बनाने का लगातार प्रयास करता रहूंगा।”